N Biren Singh On Violence: मणिपुर में जारी हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) शुक्रवार को इस्तीफा देने वाले थे. हालांकि, लोगों का उनकी सरकार के प्रति समर्थन देख उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया था. मुख्यमंत्री ने शनिवार (1 जुलाई) को बताया कि उन्होंने क्यों इस्तीफा देने का मन बनाया था और राज्य में हिंसा के पीछे किसका हाथ हो सकता है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के दौरे के वक्त को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं.
एन बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे को लेकर न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि कल मैंने देखा कि मेरे लिए लोग आए, जनता का विश्वास अब भी मेरे साथ है. मैं लोगों का आभारी हूं. मणिपुर के लोगों के लिए मैं काम करता रहूंगा. उन्होंने कहा कि मणिपुर में स्थिति को संभालने के लिए राज्य और केंद्र सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. फोर्स की 40 से ज्यादा कंपनियां यहां आ चुकी हैं. खाद्य सामाग्री पर्याप्त मात्रा में है. रिलीफ कैंप में लोगों को पहुंचाने से लेकर बाकी काम हो रहे हैं.
मणिपुर के मुख्यमंत्री क्यों देना चाहते थे इस्तीफा?
उन्होंने कहा कि इस सब के बीच, मैंने राज्य में कुछ स्थानों पर पीएम मोदी और अमित शाह के पुतले जलाए जाते देखे, बीजेपी कार्यालय पर हमले की कोशिशें देखीं. ये देखकर मुझे लगा कि 5-6 वर्ष में जो हमने, केंद्र ने मणिपुर के लिए किया. मुझे संदेह था कि क्या हमने लोगों का विश्वास खो दिया है. जिस कारण से मैंने ये (मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा) फैसला लिया, लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि जनता का विश्वास अब भी मेरे साथ है. मैं जो सोच रहा था वैसा नहीं है.
एन बीरेन सिंह ने क्यों पलटा फैसला?
मणिपुर के सीएम ने कहा कि जनता के विश्वास के बिना कोई भी नेता नहीं हो सकता. मुझे अच्छा लग रहा है कि जब मैं (सीएम हाउस से) बाहर निकला, तो वहां सड़कों पर भीड़ थी. वे लोग रोए और मुझ पर अपना भरोसा दिखाया. इससे मेरा संदेह गलत साबित हुए क्योंकि लोग अभी भी मेरे समर्थन में खड़े थे. उन्होंने मुझसे इस्तीफा न देने के लिए कहा. अगर वे मुझसे इस्तीफा देने के लिए कहेंगे, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा. अगर वे मुझसे ऐसा न करने को कहें, तो मैं ऐसा नहीं करूंगा.
अंतरराष्ट्रीय संगठन की भूमिका हो सकती है?
क्या राज्य में हुई हिंसा में किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन की भूमिका हो सकती है? इस सवाल पर बीरेन सिंह ने कहा कि हम ये नहीं कह सकते हैं, लेकिन मणिपुर म्यांमार का पड़ोसी है. पास में ही चीन है. हमारी 398 किमी सीमाएं असुरक्षित हैं. भारतीय सुरक्षा बल हैं, लेकिन इतने बड़े इलाके की सुरक्षा नहीं की जा सकती. जो अभी हो रहा है उसे देखते हुए हम न तो इससे इनकार कर सकते हैं और न ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं. ये पूर्व नियोजित लग रहा है, लेकिन इसके कारण का खुलासा नहीं हुआ है.
हिंसा के पीछे का क्या कारण हो सकता है?
राज्य में हिंसा के पीछे के कारण के सवाल पर बीरेन सिंह ने कहा कि मैं भी उलझन में हूं. मैंने कहा था कि आम सहमति महत्वपूर्ण है. हाई कोर्ट ने हमसे पूछा था. मेरी सरकार ने अभी भी ऐसा नहीं किया है. सिफारिश की गई कि क्या मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं किया जाना चाहिए. चार सप्ताह का समय था इसलिए मुझे इसका कारण नहीं पता. जिस संगठन ने मैतेई को शामिल न करने के लिए एकजुटता रैली आयोजित की थी उसे इसका जवाब देना चाहिए, उनके पास जवाब है.
राहुल गांधी के मणिपुर दौरे पर उठाए सवाल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मणिपुर दौरे पर सीएम ने कहा कि हम किसी को नहीं रोक सकते, लेकिन अब 40 दिन हो गए. वह पहले क्यों नहीं आए? वह कांग्रेस नेता हैं, लेकिन वह किस क्षमता से दौरा कर रहे थे? मुझे नहीं लगता कि ये समय सही था. ऐसा लग रहा था कि वह किसी राजनीतिक एजेंडे के साथ आए थे. वह आए और फिर बाजार में एक घटना हुई और बीजेपी कार्यालय पर हमला किया गया. क्या वह राज्य में स्थिति या राजनीतिक लाभ के लिए आए थे? वह जिस तरीके से आए, मैं उसका समर्थन नहीं करता हूं.
एन बीरेन सिंह ने विपक्ष के आरोपों पर दिया जवाब
विपक्ष के राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने के आरोप और इस्तीफे की मांग पर एन बीरेन सिंह ने कहा कि ये समस्याएं कहां से आईं? ये गहरी जड़ें जमा चुकी हैं. ये आज की समस्याएं नहीं हैं. जो लोग आरोप लगा रहे हैं, जैसे कि कांग्रेस, इसकी बीज उन्होंने बोए थे. पूरी दुनिया जानती है कि गलती किसकी थी. कुकी और मैतेई के बीच जातीय संघर्ष 2-2 साल तक जारी रहा. जिसके कई लोगों की जान गई. यही कारण है कि कुकी उग्रवादी उस समय उभरे, उन्हें 2005-2018 तक 13 वर्षों के लिए खुली छूट दी गई थी. यही कारण है कि ऐसा हो रहा है.
मणिपुर के सीएम ने कहा कि हम शांति बहाल करने के लिए हर स्तर पर हर संभव प्रयास कर रहे हैं. कुछ घंटे पहले मैंने अपने कुकी भाइयों और बहनों से टेलीफोन पर बात की थी कि आइए माफ करें और भूल जाएं. मेल-मिलाप करें और एक साथ रहें जैसे हमे हमेशा से रहे हैं. सरकार ने केवल म्यांमार की अशांति के मद्देनजर बाहर से आने वाले लोगों की जांच करने और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें वापस भेजने की कोशिश की है. हमारी प्राथमिकता मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना है.
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