Manipur: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि वह सेना में शामिल होना चाहते थे, लेकिन अपनी पारिवारिक दिक्कतों के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए. सिंह ने असम राइफल्स और भारतीय सेना की 57वीं माउंटेन डिवीजन के जवानों को यहां संबोधित करते हुए बताया कि उन्होंने सैन्य बलों में शामिल होने के लिए परीक्षा भी दी थी.
उन्होंने कहा, "मैं अपने बचपन की एक कहानी बताना चाहता हूं. मैं भी सेना में शामिल होना चाहता था और मैंने एक बार 'शार्ट सर्विस कमीशन' की परीक्षा भी दी थी. मैंने लिखित परीक्षा दी थी, लेकिन मेरे पिता का निधन हो जाने और कुछ अन्य पारिवारिक समस्याओं के कारण मैं सेना में शामिल नहीं हो पाया."
इस वर्दी में कुछ बात है...
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "अगर आप किसी बच्चे को सेना की वर्दी देते हैं, तो आप देखेंगे कि उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता है. इस वर्दी में कुछ बात है." मंत्रीपुखरी में असम राइफल्स (दक्षिण) के महानिरीक्षक के मुख्यालय के दौरे के समय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी सिंह के साथ थे. राजनाथ सिंह ने मुख्यालय में सैन्य बलों से मुलाकात की.
उन्होंने भारत-चीन गतिरोध के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा दिखाए गए शौर्य को याद किया. उन्होंने कहा, "जब भारत-चीन गतिरोध जारी था, तब आपके पास शायद विस्तार से जानकारी नहीं होगी, लेकिन मैं और उस समय के सेना प्रमुख हमारे जवानों के साहस और बहादुरी से अवगत थे, हमारा देश आपका सदैव ऋणी रहेगा."
मैंने सेना प्रमुख मनोज पांडे से कहा...
राजनाथ सिंह ने कहा, "मैं जहां कहीं भी जाता हूं, मैं सुनिश्चित करता हूं कि मैं सैन्यकर्मियों से मुलाकात करूं. जब मेरे मणिपुर दौरे की योजना बनी थी, तब मैंने सेना प्रमुख मनोज पांडे से कहा था कि मैं असम राइफल्स और 57वीं माउंटेन डिवीजन के कर्मियों से मिलना चाहता हूं." उन्होंने कहा कि सैन्य कर्मियों से मिलकर उन्हें गौरव की अनुभूति होती है. राजनाथ सिंह ने कहा, "चिकित्सक, इंजीनियर और चार्टर्ड अकाउंटेंड किसी न किसी तरीके से देश के लिए योगदान दे रहे हैं, लेकिन मेरा मानना है कि आपका पेशा एक पेशे से बढ़कर सेवा है."
मणिपुर का दो दिवसीय दौरा
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि असम राइफल्स कई लोगों को मुख्यधारा में लाने में अहम भूमिका निभाता है और इसे पूर्वोत्तर का प्रहरी कहना उचित है. बता दें कि राजनाथ सिंह मणिपुर के दो दिवसीय दौरे पर आए हैं.