Manipur Inner Line Permit Issue: मणिपुर (Manipur) में लागू 'इनर लाइन परमिट' (Inner Line Permit) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तैयार हो गया है. राज्य सरकार को बाहरी लोगों को आने से रोकने की शक्ति देने वाली इस व्यवस्था को 'आमरा बंगाली' नाम की संस्था ने चुनौती दी है. कोर्ट ने आज याचिका पर केंद्र और मणिपुर सरकार से जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता संगठन का कहना है कि अंग्रेजों ने उत्तर-पूर्व भारत के लिए 1873 में 'बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन' बनाया था. इसके तहत क्षेत्र के पहाड़ी और जनजातीय इलाको में भारतीय लोगों को बिना अनुमति जाने से रोका गया था. अंग्रेजों का मकसद चाय की खेती समेत अपने दूसरे व्यापारिक हितों को सुरक्षित रखना था. लेकिन आज़ादी के बाद भी इस व्यवस्था को बनाए रखा गया. समय-समय पर इसकी अधिसूचना जारी की जाती रही.
याचिका में कहा गया है कि 2019 में एक नए सरकारी आदेश के ज़रिए 140 साल पुराने कानून के प्रावधानों को फिर से प्रभावी बनाया गया. यह व्यवस्था अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, मणिपुर के अलावा नागालैंड के कई जिलों में लागू है. वकील फ़ुजैल अहमद अय्यूबी के ज़रिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि सरकार इस व्यवस्था को बनाए रखने की वजह जनजातीय संस्कृति के संरक्षण को बताती है. लेकिन इसकी आड़ में देश के बाकी नागरिकों को मणिपुर में आने-जाने से रोकना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है.
आज जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और कृष्ण मुरारी की बेंच ने थोड़ी देर की दलीलों के बाद ही याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए नोटिस जारी कर दिया. केंद्र और राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा गया है.