Manipur kuki Women Protests: मणिपुर में जातीय हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. सूबे के कांगपोकपी में कुछ दिनों पहले बिना किसी उकसावे हुई गोलीबारी का आरोप लगाते हुए सैकड़ों कूकी महिलाओं ने सोमवार (23 अक्टूबर) को विरोध प्रदर्शन किया है.


प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कांगपोकपी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर एकत्र होकर पुलिस‌ के खिलाफ नारेबाजी की. गत 16 अक्टूबर को रात की ड्यूटी पर तैनात कूकी-जो महिलाओं पर कथित तौर पर फायरिंग की गई थी. इसी के विरोध में महिलाएं प्रदर्शन कर न्याय की मांग कर रही थीं.


क्या है घटना?


कुकी आदिवासी समूह ने एक बयान में बताया है कि 16 अक्टूबर की शाम, लगभग 7:00 बजे, तेज रफ्तार कार में राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर दीमापुर की ओर जा रहे कुछ हथियारबंद बदमाशों ने रात में कांगपोकपी बाजार में ड्यूटी पर तैनात कूकी महिलाओं पर कई राउंड गोलियां चलाईं. इसके बाद में बेरोकटोक मौके से फरार होने में सफल रहे. घटना के करीब हफ्ते भर बीत जाने के बाद भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी. इसके बाद महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया है.


इस बीच, कांगपोकपी टाउन कमेटी ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर एक नोटिस जारी किया, जिसमें फायरिंग करने वालों से 20 अक्टूबर को या उससे पहले स्वेच्छा से कांगपोकपी टाउन कमेटी के सामने आत्मसमर्पण करने का आग्रह किया था. हालांकि, अभी तक किसी ने भी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. 


क्या है प्रदर्शनकारी महिलाओं की मांग?


गोलीबारी की इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहीं प्रदर्शनकारियों ने कहा "हमें गोलीबारी नहीं चाहिए, हमें अलग प्रशासन चाहिए." प्रदर्शनकारियों ने जो तख्तियां ली थीं उस पर लिखा था, "आइए हम कुकी जोलैंड में शांति से रहें., कई अन्य तख्तियों में लिखा था, "हम आपकी मां हैं, सम्मान दिखाएं", "कांगपोकपी की महिलाओं से माफी मांगें". प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि वे हमलों के डर से पिछले कुछ दिनों से रात में जाग रही हैं.


आपको बता दें कि मई महीने से ही मणिपुर में जातीय हिंसा भड़की हुई है. इसे संभालने के लिए मणिपुर पुलिस के साथ भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों की तैनाती हुई है लेकिन हालात पर पूरी तरह से काबू नहीं हो पा रहा. इंटरनेट पर भी पाबंदी लगायी गई है.


3 मई को बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों की सीमा से लगे इलाकों में ईसाई कूकी समुदाय की आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान हिंसा की शुरुआत हुई थी. करीब 5 महीने से अधिक का वक्त गुजर चुका हैं लेकिन हालात नहीं संभल रहे हैं. कम से कम 175 लोगों के मारे जाने की पुष्टि पहले ही हो चुकी है, जबकि 50000 लोग विस्थापित हैं.


 ये भी पढ़ें :मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने सिद्धार्थ मृदुल, सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी और तीन महीने के इंतजार के बाद नियुक्ति