Manipur Landslide: मणिपुर में भूस्खलन (Landslide) के मलबे में दबे सैनिकों (Soldiers) का पता लगाने के लिए सेना द्वारा वॉल-पैनिट्रेसन रडार का इस्तेमाल भी किया जा रहा है. इसके अलावा स्निफर डॉग (Sniffer Dog) की मदद भी ली जा रही है. सेना के मुताबिक, अभी भी मलबे में 12 सैनिक और 26 सिविलियन दबे हुए हैं. मणिपुर की राजधानी इम्फाल (Imphal) स्थित रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, लेफ्टिनेंट कर्नल मोहित वैष्णव के मुताबिक, भारतीय सेना, असम राइफल्स, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साझा सर्च ऑपरेशन में अब तक टेरिटोरियल-आर्मी (टीए) के 13 जवान और 05 सिविलियन्स को सुरक्षित बचा लिया गया है. इसके अलावा टीए के 18 जवान और 06 सिविलियन्स के शवों को भी मलबे से निकाला गया है. लेकिन अभी भी 12 सैनिक और 26 सिविलियन लापता हैं.


सेना के मुताबिक, मलबे में दबे जवानों और सिविलयन का पता लगाने के लिए सेना द्वारा खास वॉल पैनिट्रेसन रडार (Wall Penetration Radar) का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस रडार का दीवार सेना द्वारा एंटी-टेरिरिस्ट ऑपरेशन में घर और दीवारों के पीछे आंतकियों की लोकेशन का पता लगाने के लिए किया जाता है. ये रडार दीवार के पीछे स्टेटिक और मूविंग टारगेट का पता लगा सकती है. इसी रडार को मलबे के नीचे दबे सैनिकों और बाकी लोगों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है. डीआरडीओ ने भी 'दिव्यचक्षु' नाम से एक ऐसी है थ्रू-वॉल इमेजिंग रडार तैयार की है.


जवानों के शवों को घर पहुंचाया गया


सेना ने 14 जवानों के शव उनके पैतृक घरों की तरफ रवाना कर दिए हैं. इन जवानों में एक जेसीओ यानि जूनियर कमीशन ऑफिसर भी हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने ट्वीट कर जानकारी दी कि मणिपुर घटना में मारे जवानों में से नौ (09) दार्जलिंग के रहने वाले हैं. सेना के मुताबिक, 13 जवानों के पार्थिव-शरीर को वायुसेना के विमान और थलसेना के हेलीकॉप्टर के जरिए उनके घरों तक पहुंचाया गया है. इसके अलावा एक सैनिक के पार्थिव-शरीर को उनके घर सड़क-मार्ग के रास्ते मणिपुर के कांगपोक्पि भेजा गया है.


लेफ्टिनेंट कर्नल मोहित के मुताबिक, पार्थिव-शरीरों को पैतृक-घर भेजने से पहले इम्फाल में ही सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. सेना की रेड शील्ड डिवीजन के जीओसी और असम राइफल्स (साउथ) के आईजी ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ श्रद्धा-सुमन अर्पित किए. सेना के मुताबिक, सभी सैनिकों के घरों पर भी मिलिट्री-ऑनर के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.


आपको बता दें कि 29-30 जून की रात मणिपुर के नोने जिले के टूपल रेलवे स्टेशन के करीब आए भारी भूस्खलन से भारतीय सेना (Indian Army) की गोरखा राइफल्स की 107 टीए कंपनी का कैंप चपेट में आ गया था. इस कैंप में निर्माणधीन मणिपुर-जिरिबम रेलवे लाइन की सुरक्षा में तैनात सैनिक मौजूद थे. इसके अलावा रेलवे के अधिकारी, मजदूर और प्राईवेट कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद थे.


लैंडस्लाइड की घटना के बाद भारतीय सेना और असम राईफल्स (Assam Rifle) ने फुल-स्केल रेस्कयू ऑपरेशन शुरु किया. बाद में एनडीआरएफ और राज्य सरकार की डिजास्टर रिलीफ फोर्स (एसडीआरएफ) भी राहत और बचाव में जुट गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह खुद रेस्कयू ऑपरेशन को मोनिटर कर रहे हैं. घटना को लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी दुख प्रकट किया है.


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