Manipur: 'अवैध प्रवासियों को वापस भेजा जाए म्यांमार', मणिपुर में नगा संगठनों ने अमित शाह को चिट्ठी लिख की मांग
Illegal immigrants: नगा संगठनों ने लिखा कि म्यांमार से आए शरणार्थियों का एक वर्ग अवैध और असामाजिक गतिविधियों में जुड़ा हुआ है. मणिपुर सरकार की जांच एजेंसियां ऐसी गतिविधियों पर लगाम नहीं लगा पा रहीं.
Illegal immigrants: मणिपुर सरकार के बाद अब प्रदेश के कई नगा नागरिक निकायों और संगठनों ने गृह मंत्री अमित शाह से अवैध म्यांमार प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने का अनुरोध किया है. सूत्रों ने मिली जानकारी के अनुसार, नगा संगठनों ने इस हफ्ते की शुरुआत में गृह मंत्री को एक ज्ञापन सौंपकर उनसे अवैध म्यांमार प्रवासियों को वापस भेजने का अनुरोध किया था.
न्यूज एजेंसी आईएनएस के मुताबिक, म्यांमार से सटे मणिपुर के कामजोंग जिले के 8 तांगखुल गांवों में म्यांमार से लगभग 5,457 अवैध अप्रवासी शरण लिए हुए हैं और अब उनकी संख्या स्थानीय लोगों से ज्यादा हो गई है. हाल ही में भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्रों का दौरा करने के बाद, यूनाइटेड नागा काउंसिल, नागा महिला संघ, ऑल नागा स्टूडेंट्स एसोसिएशन मणिपुर और नागा पीपुल्स मूवमेंट फॉर ह्यूमन राइट्स ने गृह मंत्री अमित शाह को ज्ञापन सौंपा है.
म्यांमार से आए शरणार्थी अवैध कामों हैं शामिल
यूएनसी के एक नेता का कहना है कि म्यांमार से आए शरणार्थियों का एक वर्ग अवैध और असामाजिक गतिविधियों में जुड़ा हुआ है और प्रदेश की जांच एजेंसियां ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए असमर्थ हैं. न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में नेता ने आगे कहा कि फिलहाल, 5,173 व्यक्तियों के बायोमेट्रिक्स इकठ्ठे कर लिए गए हैं लेकिन लोगों की गतिविधियों की निगरानी करना एक बड़ी चुनौती बन गई है, क्योंकि अधिकारी अस्थायी शरणार्थी शिविरों में दिन और रात के बीच कैदियों की घटती-बढ़ती संख्या के बीच नियमित रूप से वैरिफिकेशन का काम नहीं कर सकते हैं.
पिछले मार्च में 115 शरणार्थियों को किया था निर्वासित
इस बीच मणिपुर सरकार के गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने विदेश मंत्रालय और केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ मिलकर 8 मार्च से अब तक तीन चरणों में महिलाओं और बच्चों सहित 115 म्यांमार नागरिकों को निर्वासित किया है. जहां म्यांमार के प्रवासियों को मणिपुर के टेंग्नौपाल जिले में मोरेह सीमा के रास्ते निर्वासित किया गया है. गौरतलब है कि, मणिपुर की म्यांमार बार्डर के साथ लगभग 400 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा लगती है.
म्यांमार से आए शरणार्थियों के लिए दी थी सहायता
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि हालांकि भारत 1951 शरणार्थी सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, फिर भी उसने मानवीय आधार पर म्यांमार में संकट से भाग रहे लोगों को सहायता दी है. जब म्यांमार सेना पिछले 3 साल पहले कब्जा देश पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद से ही कम से कम 8,000 म्यांमारी लोगों ने मणिपुर के टेंग्नौपाल, चंदेल, चुराचांदपुर और कामजोंग जिलों में शरण ली है, जबकि 36,000 से ज्यादा लोगों ने मिजोरम में शरण ली है.
मिजोरम सरकार ने MHA के आदेशों को किया था इनकार
वहीं, गृह मंत्रालय के आदेश के बाद अब मणिपुर सरकार राज्य में शरण लिए हुए म्यांमार नागरिकों के बायोमेट्रिक एकत्र कर रही है. हालांकि, मिजोरम सरकार ने शुरुआत में म्यांमार शरणार्थियों का बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करने की गृह मंत्रालय की अपील को खारिज कर दिया था, लेकिन बाद में, राज्य सरकार ने शरणार्थियों का बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करने का फैसला किया है.
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