Manipur Violence Latest News: मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़की है. बुधवार (17 जनवरी) रात और गुरुवार (18 जनवरी) सुबह प्रदेश के कई जिलों में ताजा हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के तीन जवान घायल हुए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को सूबे के कई हिस्सों में तनावपूर्ण हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. 


पुलिस के मुताबिक, बिष्णुपुर जिले में गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे निंगथोंग खा खुनौ में उग्रवादियों ने चार लोगों की हत्या कर दी जिनमें सभी मैतेई थे. मृतकों की पहचान निंगथौजम नबादीप (40), ओइनम बामोनजाओ (63), ओइनम मनिटोम्बा (37) और थियाम सोमेन (56) के रूप में हुई. बिष्णुपुर के पुलिस अधीक्षक मेघचंद्र सिंह ने इस बारे में बताया, "हम सभी शवों को बरामद करने में कामयाब रहे और उन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए इंफाल में भेजा." वहीं, गुरुवार सुबह एक अन्य घटना में इंफाल पश्चिम जिले के कांगचुप में उग्रवादियों ने गोलीबारी की जिसमें 23 साल के मैतेई तखेलंबम मनोरंजनन की मौत हो गई.


'Moreh में जवानों के हमलों में म्यांमार के विद्रोहियों का हो सकता है हाथ'


उधर, मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने आशंका जताई कि सीमावर्ती शहर मोरेह में जवानों पर हुए हमले में म्यांमार के कुछ विद्रोहियों का हाथ हो सकता है. बुधवार सुबह बड़ी संख्या में कुकी उग्रवादियों ने तीन लोकेशन पर एक साथ पुलिस कमांडो पोस्ट पर फायरिंग की. इसमें से सीमावर्ती शहर मोरेह में हुए हमले के पीछे म्यांमार से घुसपैठ करके आए विद्रोहियों का हाथ हो सकता है. बता दें कि राज्य की राजधानी इंफाल से 110 किमी दूर मोरेह में हुए हमले में दो जवान मारे गए थे.


सबूत मिलने का कर रहे हैं इंतजार


कुलदीप सिंह के मुताबिक, मोरेह में सक्रिय पीडीएफ विद्रोही और शायद म्यांमार की ओर से कुछ अतिरिक्त सैनिक भी मोरेह में राज्य बलों पर हमला कर सकते हैं. उन्होंने इस पूरे हमले में म्यांमार के विद्रोही समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के शामिल होने की आशंका जताई है. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभी इस संबंध में कोई सबूत नहीं हैं लेकिन आशंका है कि पीडीएफ इन हमलों में शामिल हो सकता है.


Manipur हिंसा में और समुदाय भी हो रहे शामिल


दरअसल, मई 2023 से बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और आदिवासी कुकी के बीच जातीय हिंसा जारी है. धीरे-धीरे अन्य समुदाय भी इसमें शामिल हो रहे हैं. हिंसा में पिछले आठ महीनों में करीब 200 लोगों की जान गई है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.


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