Manipur Violence: मणिपुर में जारी हिंसा के मुद्दे पर करीब 500 सामाजिक-राजनीतिक बुद्धिजीवियों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर चुप्पी तोड़ने और शांति व्यवस्था के लिए ठोस पहल करने की मांग की है. लेटर में उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग करते हुए कहा कि पीएम को मणिपुर की इस स्थिति पर चुप्पी तोड़ते हुए इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. ये भी कहा गया है कि हिंसा को तुरंत को रोका जाए क्योंकि इस कारण लोगों के जीवन, आजीविकाओं और संपत्ति की हानि हो रही है. लोगों के बीच दहशत फैल रही है.


लेटर में लिखा गया, "अत्यंत दुख की बात है कि अफवाहों का रणनीतिक इस्तेमाल करके समुदायों के बीच हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है. खबरों के अनुसार, बहुसंख्यक मेइतेई समुदाय ने ऐसे ही फेक न्यूज फैलाई कि कूकियों ने मेइतेई औरतों का बलात्कार किया. ऐसा भी कहा गया कि उम्माद भरी भीड़ नारे लगाते चलती है 'बलात्कार करो, प्रताड़ित करो'- इसकी जांच करना बहुत जरूरी है. हमारी मांग है कि हिंसा के इस तांडव को तुरंत रोका जाए."


ये है मांग-



  • तथ्यों की जांच के लिए अदालत की निगरानी में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया जाए.

  • मणिपुर के समुदायों को अलग करने वाले घावों को ठीक करने की कोशिश की जाए.

  • हिंसा के सभी मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए जाए

  • पलायन के लिए मजबूर हुए लोगों को उनके गांव में सुरक्षित वापसी की गारंटी मिलनी चाहिए

  • घायल होने वालों और उनके घर, अनाज, पशुधन आदि का नुकसान हुए लोगों को मुआवजा दिया जाना चाहिए


"केंद्र और राज्यों की राजनीति के कारण जल रहा मणिपुर"
500 सामाजिक-राजनीतिक बुद्धिजीवियों ने पीएम मोदी को लिखे लेटर में कहा, "केंद्र और राज्य सरकारों की विभाजनकारी राजनीति के कारण आज मणिपुर जल रहा है. उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे इस नागरिक युद्ध को रोकें. 50 हजार से ज्यादा लोग 300 से ज्यादा रेफ्यूजी कैंप में रह रहे हैं और लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं."


आगे कहा गया, "बीजेपी अपने राजनीतिक फायदे के लिए सदियों पुराने जातीय तनाव को बढ़ावा दे रही है. अराम्बाई तेंगगोल और मेइतेई लेपुन जैसे सशस्त्र मेइती बहुसंख्यक समूह कुकियों के खिलाफ हिंसा कर रहे हैं. पहला समूह चाहता है कि मेइती सनमही परंपरा में वापस आ जाए और दूसरा समूह स्पष्ट रूप से हिंदू सर्वोच्चतवादी सोच रखता है. मुख्यमंत्री बिरेन सिंह इन समूहों से नजदीकि संबंध रखते हैं. दोनों समूह कुकी समुदाय को 'अवैध बाहरी' और 'नार्को आतंकवादी' मानते हैं."


मणिपुर हिंसा का बीजेपी पर आरोप लगाते हुए ये भी कहा गया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री की ओर से असम एनआरसी अभ्यास के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय को अवैध बताने वाली भाषा का इस्तेमाल किया गया. आज यही भाषा पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों में फैल रही है. बीजेपी इस नफरत, हिंसा और विदेशियों के प्रति घृणा के उन्माद की आग को हवा दे रही है.


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