Manipur Violence: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शनिवार (24 जून) को मणिपुर की स्थिति पर विस्तृत चर्चा की गई. इस दौरान कई विपक्षी दलों ने प्रदेश में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का आग्रह किया. हालांकि सरकार ने इसको लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है. 


न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी. कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को हटाने की मांग की तो कुछ विपक्षी पार्टियों ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का कहा. सूत्रों के अनुसार, सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि वह सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पूरा प्रयास कर रही है. दरअसल मीटिंग में बीजेपी, कांग्रेस, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तृणमूल कांग्रेस और वामदलों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया. 


पीएम मोदी का किया जिक्र 
बैठक के बाद बीजेपी मणिपुर प्रभारी संबित पात्रा ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर मणिपुर में शांति बहाली के लिए सारे प्रयास किए जा रहे हैं.


पात्रा के मुताबिक, गृह मंत्री शाह ने बैठक में यह भी कहा कि मणिपुर में हिंसा की शुरुआत से एक दिन भी ऐसा नहीं रहा होगा जब उन्होंने हालात को लेकर पीएण मोदी से बात नहीं की हो या फिर प्रधानमंत्री ने निर्देश नहीं दिये हों. अब तक मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच तीन मई को भड़की हिंसा में अब तक लगभग 120 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं. 


कांग्रेस क्या बोली?
कांग्रेस ने बैठक को औपचारिकता करार देते हुए कहा कि केंद्र को प्रदेश में शांति बहाली के लिए गंभीर पहल करनी चाहिए और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का तत्काल इस्तीफा लिया जाना चाहिए.  पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि पीएम मोदी को इस मामले पर चुप्पी तोड़नी चाहिए.


कांग्रेस की ओर से इस बैठक में शामिल हुए मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने कहा कि बीरेन सिंह के सीएम रहते शांति संभव नहीं है. उन्होंने दावा किया कि बैठक में उन्हें कुछ मिनट का समय दिया गया, जबकि उन्होंने अपनी बात रखने के लिए और समय मांगा था. 


टीएमसी क्या बोली?
टीएमसी के सांसद डेरेक ओब्रायन ने मीटिंह के बाद कहा, ‘‘पटना में विपक्षी दलों की बैठक के 24 घंटों के भीतर मणिपुर के विषय पर हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने एकजुटता के साथ अपनी बात रखी. ’’ 


सर्वदलीय बैठक को लेकर टीएमसी ने एक बयान जारी करक प्रश्न किया कि क्या सरकार ‘मणिपुर को कश्मीर में बदलने की कोशिश कर रही है.उसने हिंसा प्रभावित मणिपुर में सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल भेजने की मांग की. 


आरजेडी ने क्या कहा?
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता मनोज झा ने बताया कि मणिपुर को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में लगभग सभी विपक्षी दलों का यही कहना था कि मणिपुर की जनता को वहां के मुख्यमंत्री पर विश्वास नहीं रहा. 


उद्धव ठाकरे की पार्टी क्या बोली?
उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मैं मणिपुर के कई समूहों से मिली हूं. उनका कहना है कि सीएम पर विश्वास नहीं है. खुद विदेश राज्य मंत्री (राजकुमार रंजन सिंह) ने कहा था कि राज्य में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है. जवाबदेही की शुरुआत कहां से होगी? जवाबदेही की शुरुआत राज्य से होगी.’’


मामला क्या है?
मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन द्वारा तीन मई को आहूत ‘आदिवासी एकता मार्च’ में हिंसा भड़क गई थी. बता दें कि शाह ने पिछले महीने चार दिन के लिए राज्य का दौरा किया था और मणिपुर में शांति बहाल करने के अपने प्रयासों के तहत विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की थी. 


मीटिंग में कौन-कौन शामिल रहा?
बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, मेघालय के मुख्यमंत्री एवं नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेता कोनराड संगमा, शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) नेता एम. थंबी दुरई, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता तिरुचि शिवा, बीजू जनता दल (बीजद) के नेता पिनाकी मिश्रा, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा शामिल हुए. 


इसके अलावा बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, नित्यानंद राय और अजय कुमार मिश्रा, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका भी शामिल हुए. 


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