Manipur Violence: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (30 मई) को मणिपुर हिंसा को लेकर महिला नेताओं, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और पक्षकारों के साथ बैठक की. इस बीच केंद्र सरकार पर पश्चिम बगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हमला करते हुए कहा कि ध्यान नहीं दिया जा रहा है. 


अमित शाह ने मीटिंग के बाद कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता मणिपुर में शांति और समृद्धि है. उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों को शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से कड़ाई से निपटने का निर्देश दिया है. शाह ने इंफाल में पुलिस, सीएपीएफ, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के बाद यह बात कही. वहीं सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र को लेटर लिखकर कहा कि देश के लोग यहां की सही स्थिति जानना चाहते हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति द्रौपर्दी मुर्म से मिलकर मामले में सुप्रीम कोर्ट के किसी वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच आयोग का गठन का आग्रह किया.  


ममता बनर्जी ने क्या कहा?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने केंद्र को पत्र लिखकर हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करने के लिए अनुमति मांगी है. मणिपुर पहुंचने में केंद्रीय नेताओं की देरी पर सवाल उठाते हुए बनर्जी ने यह भी कहा कि यहां के लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करना चाहती हूं. मेरा किसी प्रोटोकॉल को तोड़ने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन मैं राज्य के शांति प्रिय लोगों से मिलना चाहती हूं. 


क्या आरोप लगाया था?
बनर्जी ने बताया कि उन्होंने सोमवार (29 मई) को केंद्र को पत्र भेजा था. बनर्जी ने पिछले हफ्ते बीजेपी पर आरोप लगाया था कि वह पश्चिम बंगाल में मणिपुर जैसा संघर्ष पैदा करने की कोशिश कर रही है. मणिपुर जाने, काम करने या व्यापार करने के लिए राज्य के बाहर के सभी लोगों को ‘इनर लाइन परमिट’ की आवश्यकता होती है. हालांकि, यह परमिट केंद्र नहीं, बल्कि राज्य सरकार  जारी करती है. 


कांग्रेस ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की ये मांगे
पूरे मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें जांच आयोग गठित करने और शांति सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने समेत 12 मांगें की गई हैं. इस प्रतिनिधिमंडल में खरगे के अलावा कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, महासचिव मुकुल वासनिक, कांग्रेस के मणिपुर प्रभारी भक्त चरण दास, पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और कुछ अन्य नेता शामिल थे. 


खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘हमने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करते हुए उन्हें ज्ञापन सौंपा है ताकि मणिपुर के सामने उत्पन्न असाधारण स्थिति का समाधान हो सके और तत्काल सामान्य स्थिति बहाल हो सके. एक जिम्मेदार राजनीतिक दल के रूप में कांग्रेस, मणिपुर में शांति बहाली के लिए उठाए जाने वाले किसी भी कदम का समर्थन करने के लिए तैयार है.''


कांग्रेस ने राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन में आग्रह किया कि चरमपंथी संगठनों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार को हर जरूरी कदम उठाना चाहिए. लापता लोगों का पता लगाने के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए. पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए उचित कदम उठाया जाना चाहिए.  विपक्षी दल ने यह भी कहा कि राहत शिविरो में रहने वाले बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित की जाए, जरूरी वस्तुओं की ढुलाई में आई रुकावटों को दूर किया जाए, राज्य सरकार सभी राहत शिविरों का प्रबंधन अपने हाथ में ले, मणिपुर से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों को अक्षरश: लागू किया जाए, समुदायों के बीच बातचीत के जरिये सौहार्द बढ़ाया जाए और शांति सुनिश्चित करने के लिए ठोस और तेज प्रयास किए जाएं. 


पीएम मोदी का किया जिक्र
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 22 साल पहले भी मणिपुर जल रहा था. तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे. आज फिर से मणिपुर जल रहा है, अब पीएम के पद पर नरेंद्र मोदी हैं. इसका कारण बीजेपी की विभाजनकारी और ध्रुवीकरण की राजनीति है. उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर जल रहा था, लेकिन पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कर्नाटक चुनाव में व्यस्त थे क्योंकि इनको मणिपुर की कोई परवाह नहीं थी. 


वहीं पार्टी के मणिपुर प्रभारी भक्त चरण दास ने दावा किया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार चाहती तो मणि‍पुर में ह‍िंसा थम सकती थी, लेकिन हिंसा को होने दिया गया। सत्ता में रहने के लिए हिंसा, बीजेपी का माध्यम रही है. 


क्या मामला है?
मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में भड़की हिंसा में 75 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद गत रविवार की हिंसा समेत अन्य हिंसक घटनाएं हुईं. रविवार की हिंसा में कम से कम पांच लोगों की मौत हुई है.


भारतीय सेना और असम राइफल्स की लगभग 140 टुकड़ियां पूर्वोत्तर के राज्य में स्थिति सामान्य करने के प्रयास में जुटी हैं. हर टुकड़ी में 10,000 कर्मी होते हैं. इसके अलावा अन्य अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को भी तैनात किया गया है. 


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