Manipur Violence: मणिपुर में आदिवासी आंदोलन के बाद हुई हिंसा की वजह से वहां कर्फ्यू लागू है. इंफाल, चुराचांदपुर और कांगपोकपी में हिंसा भड़कने के बाद बीती रात मणिपुर के आठ जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया था. राज्य सरकार ने यहां मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगाई है. इन हालातों के बाद राज्य के विभिन्न इलाकों में 7,500 से अधिक लोगों ने सेना के शिविरों और सरकारी कार्यालयों में शरण ली है.
गुरुवार (4 मई) को इंफाल के कुछ हिस्सों से हिंसक घटनाओं की सूचना मिली. इसे रोकने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों को बुलाया गया है. स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सशस्त्र बलों ने यहां फ्लैग मार्च किया. वहीं सेना ने भी हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया.
राहुल गांधी की पीएम से अपील
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मणिपुर की स्थिति पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री से अपील की है. उन्होंने ट्वीट किया "मणिपुर की तेजी से बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर काफी चिंतित हूं. प्रधानमंत्री को शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने पर ध्यान देना चाहिए. मैं मणिपुर के लोगों से शांत रहने का आग्रह करता हूं."
सेना ने चलाया बचाव अभियान
सेना ने एक बयान जारी कर बताया, "भारतीय सेना और असम राइफल्स ने मणिपुर में कानून और व्यवस्था को बहाल करने के लिए रात भर सभी समुदायों के 7,500 से अधिक नागरिकों को निकालने के लिए बड़े बचाव अभियान चलाए. भारतीय सेना मणिपुर की आबादी की भलाई और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है."
कैसे भड़की हिंसा ?
बुधवार को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) ने चुराचंदपुर जिले के तोरबंग इलाके में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' का आह्वान किया था. यह मार्च अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की मांग के विरोध में किया गया था. पुलिस के मुताबिक, रैली में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया. इस दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा भड़क उठी.