BJP On Manipur Violence: मणिपुर में दो महिलाओं के साथ शर्मनाक हरकत पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर हमलावर है. विपक्षी पार्टियां पीएम मोदी से संसद में बयान देने की मांग कर रही हैं. इस बीच बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्षी पार्टियों पर सवाल उठाए हैं.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार (20 जुलाई) को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''जो घटना मणिपुर की है वो दुर्भाग्यपूर्ण है. हम सभी मर्माहत हैं. हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने आज कड़े शब्दों में उसकी निंदा की है, कार्रवाई का आग्रह किया है. महिलाओं की सुरक्षा के बारे में देश में जाग्रती लाने की बात की है. मणिपुर के साथ-साथ राजस्थान-छत्तीसगढ़ का भी जिक्र किया उन्होंने.''
'हम इस पर बहस चाहते थे संसद के दोनों सदनों में'
बीजेपी नेता ने आगे कहा, ''हम इस पर बहस चाहते थे लोकसभा में, संसद के दोनों सदनों में, ये हमारे लिए गंभीर विषय है, होना भी चाहिए. नरेंद्र मोदी की सरकार देश की बहन-बेटियों की इज्जत के बारे में बहुत ही गंभीर और संवेदनशील है. किसी प्रदेश में हों लेकिन महिलाओं का सम्मान होना चाहिए.''
उन्होंने कहा, ''आज ये बहुत पीड़ा की बात है कि जब भाजपा की ओर से राज्यसभा में पीयूष गोयल जी और लोकसभा में प्रह्लाद जी ने साफ-साफ कहा था कि हम मणिपुर पर चर्चा करने को तैयार हैं तो कांग्रेस पार्टी और विपक्ष किस क्लॉज में चर्चा हो इसी पर बहस कर रहे हैं. तो आपके लिए वहां की घटना इंपोर्टेंट नहीं है, बहस का क्लॉज इंपोर्टेंट है.''
'जब प्रधानमंत्री ने उस मामले को इतना सख्ती से अपनी आवाज दी तो...'
रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''जब प्रधानमंत्री जी ने सुबह-सुबह उस मामले को इतना सख्ती से अपनी आवाज दी तो उसमें तो देश में एक साझेदारी का संकेत जाना चाहिए था कि पूरी संसद एक है, पूरा देश एक है. इसका कितना पॉजिटिव मैसेज जाता मणिपुर में, आप समझ सकते हैं. लेकिन बहस... किस रूल में बहस की जाए. ये बहुत पीड़ादायक है. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.''
मुझे कांग्रेस से सवाल जरूर पूछना है कि आप चाहते क्या हैं?- रविशंकर प्रसाद
रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''आज नॉर्थ ईस्ट देश के नजदीक आया है, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 50 बार नॉर्थ ईस्ट गए हैं. उनके सारे मंत्री 400 बार नॉर्थ ईस्ट गए हैं. कई प्रदेशों में भाजपा को बार-बार जिताया गया है और नॉर्थ ईस्ट की अलग मिनिस्ट्री बनाई गई है. किस तरह से वहां विकास के काम हो रहे हैं, आप भी जानते हैं. मनमोहन सिंह 10 साल तक राज्यसभा में थे या 20 साल तक आसाम से थे, वहां क्या हुआ छोड़ दीजिए, उस पर बहस नहीं करते हैं लेकिन आज मुझे कांग्रेस पार्टी से भाजपा के राष्ट्रीय मंच से सवाल जरूर पूछना है कि आप चाहते क्या हैं? संसद में सार्थक बहस चाहते हैं या रूल पर अपना ईगो चाहते हैं.''
'कांग्रेस पार्टी से और क्या अपेक्षा की जाए?'
उन्होंने कहा, ''हम सबका पूरा ये मानस था कि अगर ये बहस शुरू होती तो पूरे सदन में एक समझदारी बनती, साझेदारी बनती, एक सामूहिकता के भाव से एक बहुत ही सार्थक-रचनात्मक संदेश मणिपुर में जाता और वहां की महिलाओं और बेटियों को भी जाता. उससे मदद मिलती. हम इससे बहुत दुखी हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी से और क्या अपेक्षा की जाए? विशेष रूप से, हर सदन के पहले एक गुब्बारा छोड़ते हैं और फिर गायब हो जाते हैं. बहस से भाग जाते हैं.''
कांग्रेस नेता जयराम रमेश का हमला
वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ''मानसून सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदन शोर-शराबे में डूब गए. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मोदी सरकार मणिपुर में 3 मई के बाद के हालात पर संसद के अंदर प्रधानमंत्री के बयान और तत्काल चर्चा के लिए INDIA की मांग पर सहमत नहीं हुई. प्रधानमंत्री ने दोनों सदनों की बैठक से पहले मीडिया के माध्यम से संसद के बाहर से ही देश के नाम संदेश देना अधिक उचित समझा. उनका संदेश अपने आप में इस बात पर चुप्पी है कि कैसे और क्यों तथाकथित डबल इंजन सरकार ने इतनी बड़ी मानवीय त्रासदी को होने दिया, जिसने मणिपुर के नाजुक सामाजिक ताने-बाने को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है.
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