Manipur Violence Investigation: सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने मणिपुर हिंसा मामलों की जांच के लिए बुधवार (16 अगस्त) को अलग-अलग रैंक की 29 महिला अधिकारियों सहित 53 अधिकारियों को तैनात किया. तैनात की गईं महिलाएं बयान दर्ज करने और पूछताछ करने में सीबीआई की मदद करेंगी. 


अधिकारियों ने बताया कि तीन उप महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी राज्य में हिंसा के मामलों की जांच के लिए अपनी-अपनी टीम का नेतृत्व करेंगे, जिनमें महिला अधिकारी लवली कटियार और निर्मला देवी शामिल हैं. साथ ही सभी अधिकारी संयुक्त निदेशक घनश्याम उपाध्याय को रिपोर्ट करेंगे जो विभिन्न मामलों में जांच की निगरानी करेंगे. 


हिंसा में 160 से ज्यादा लोगों की मौत


बता दें कि, 3 मई को राज्य में पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, और सैंकड़ों लोग घायल हुए हैं. बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के दौरान यह हिंसा भड़की थी. 


मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं. 


जांच को लेकर एक्शन में CBI


दरअसल, सीबीआई मणिपुर हिंसा से संबंधित 9 और मामलों की जांच अपने हाथ में लेने वाली है, जिससे एजेंसी की ओर से जांच किए जाने वाले मामलों की कुल संख्या बढ़कर 17 हो जाएगी. महिलाओं के खिलाफ अपराध या यौन उत्पीड़न से संबंधित किसी अन्य मामले को भी प्राथमिकता के आधार पर सीबीआई को भेजा जा सकता है.


सूत्रों ने इससे पहले यह भी जानकारी दी थी कि सीबीआई की ओर से जांच किए जा रहे मामलों में से कई में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के प्रावधान लागू हो सकते हैं, जिनकी जांच पुलिस उपाधीक्षक रैंक के अधिकारी की ओर से की जा सकती है.


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