Manipur Violence: कांग्रेस समेत मणिपुर के 10 विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार (20 जून) को राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर हिंसा का सूत्रधार होने का आरोप लगाया  विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह तत्काल दखल देकर हिंसा से पैदा हुए संकट का समाधान सुनिश्चित करें.


उन्होंने यह भी कहा कि सीएम बीरेन सिंह को जिम्मेदार ठहराया जाए, कांग्रेस, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम), सीएम ममता बनर्जी की तृणमल कांग्रेस (टीएमसी), मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), शिवसेना (यूबीटी) और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) की मणिपुर इकाइयों के नेताओं ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को अपनी मांगों के संदर्भ में एक ज्ञापन सौंपा है.


मनोज मुंतशिर शुक्ला का क्यों किया जिक्र
विपक्षी दलों ने 10 जून को ईमेल के माध्यम से लेटर भेजकर और फिर 12 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय में पत्र सौंपकर पीएम मोदी से मिलने का समय भी मांगा था. कांग्रेस नेता अजय कुमार ने मणिपुर के नेताओं को पीएम मोदी से मिलने का समय नहीं मिलने को लेकर मोदी की आलोचना की.


उन्होंने दावा किया, ‘‘बीते 10 जून से कई दलों के नेता मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से मिलना चाह रहे हैं, लेकिन पीएम के पास समय नहीं है. खुद बीजेपी के नेता प्रधानमंत्री मोदी से नहीं मिल पा रहे हैं, जबकि भद्दे संवाद लिखने वाले मनोज मुंतशिर शुक्ला ने कहा था कि उनसे पीएम मोदी बिना अपॉइंटमेंट के 45 मिनट तक मिले.''


क्या आरोप लगाया?
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओकराम इबोबी सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार खामोश क्यों है? गृह मंत्री अमित शाह ने तीन दिनों का दौरा किया, लेकिन हिंसा जारी है. फिर इस दौरे से क्या मिला? उन्होंने कहा, ‘‘अगर केंद्र सरकार सोचती है कि हम कुछ मांगने आए हैं, तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.


उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर में ‘डबल इंजन’ सरकार पूरी तरह विफल रही है. विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी को सौंपे ज्ञापन में मणिपुर हिंसा से जुड़े घटनाक्रमों का उल्लेख किया और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह हिंसा के सूत्रधार हैं, क्योंकि उन्होंने एकतरफा कदम उठाया है.


क्या दावा किया? 
ओकराम इबोबी सिंह ने दावा किया किसीएम एन बीरेन सिंह  गत 21 मई को स्वीकार किया था कि राज्य सरकार की ओर से सुरक्षा चूक और खुफिया विफलता हुई है. उन्हें मौजूदा संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.  


विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि शांति बहाल करने, निरस्त्रीकरण और सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया जाए. उन्होंने कहा कि मणिपुर में कोई ‘पृथक प्रशासन’ नहीं होना चाहिए और मणिपुर की एकता एवं भूभागीय अखंडता सुनिश्चित रहनी चाहिए. 


बता दें कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं. इस हिंसा में अब तक करीब 100 लोगों की मौत हुई है और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं. 


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