Manipur Violence Update: मणिपुर में मैतेई (Meitei) और कुकी (Kuki) समुदायों के बीच चल रही हिंसा को एक महीने से ज्यादा वक्त हो गया है. इस संघर्ष के कारण राज्य में जरूरी सामान की कीमतें आसमान छूने लगीं हैं और एटीएम (ATM) में नकदी खत्म है. पेट्रोल (Petrol) की कालाबाजारी हो रही है जो कि 200 रुपये प्रति लीटर के रेट पर लोगों को खरीदना पड़ रहा है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी हो गई और दुकानें दिन में सिर्फ कुछ घंटों के लिए खुलती हैं.


'मणिपुर जल रहा है' के नारों के पीछे यहां के लोगों के ये संघर्ष छिपे हुए हैं. मणिपुर में इस संघर्ष की शुरूआत 3 मई को हुई थी जब अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में जनजातीय एकता मार्च के दौरान हिंसा भड़क गई थी. हिंसा शुरू होने के बाद से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हुई झड़पों में 98 लोगों की जान जा चुकी है और 310 लोग घायल हो गए हैं. 


हजारों लोग हुए बेघर


अब तक सैकड़ों लोग अपने घरों को खो चुके हैं और उन्हें मणिपुर या दिल्ली, दीमापुर और गुवाहाटी में राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है. राज्य सरकार ने शुक्रवार (2 जून) को एक बयान जारी कर कहा था कि इस समय 272 राहत शिविरों में कुल 37,450 लोग हैं. राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद से आगजनी के 4,014 मामले सामने आये हैं. अब सवाल ये है कि मणिपुर के उन लोगों का क्या जो एक महीने से इंटरनेट कनेक्शन के बिना दुनिया से कटे हुए हैं और हर दिन कुछ घंटों के लिए कर्फ्यू हटने के बाद अपने काम कर रहे हैं.


अभी भी छिटपुट हिंसा जारी


मणिपुर के कई इलाकों में अभी भी छिटपुट हिंसा जारी है, लेकिन इस बीच जीवन भी चलता रहना चाहिए. अब उसके लिए दैनिक जरूरी चीजों की आवश्यकता होती है. दो समुदाय- मैतेई और कुकी- आपस में लड़ रहे हैं, लेकिन ये एक ऐसा मुद्दा है जो दोनों को प्रभावित कर रहा है. इंफाल घाटी कई जनजातियों और समुदायों का घर है. इसलिए, दैनिक चीजों की कमी किसी विशेष जनजाति या समुदाय तक सीमित नहीं है.  




हर चीज की कीमतें बढ़ीं


यहां जरूरी वस्तुओं की कीमतें रातोंरात दोगुनी हो गई क्योंकि नागरिक निकायों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को रोक दिया है और मालवाहक ट्रकों को राजधानी इंफाल में प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा. चावल की कीमत पहले के 30 रुपये से बढ़कर 60 रुपये प्रति किलो हो गई. सब्जियों की कीमत पर भी असर पड़ा है. प्याज, जो पहले 35 रुपये प्रति किलो थी अब 70 रुपये हो गई है और आलू की कीमत 15 रुपये से बढ़कर 40 रुपये हो गई है. अंडे की कीमत अब 6 रुपये प्रति पीस से बढ़कर 10 रुपये प्रति पीस हो गई है. रिफाइंड तेल भी महंगा हो गया है. 


पेट्रोल की हो रही कालाबाजारी


दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में जहां 100 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल भी बहुत महंगा लगता है तो इंफाल घाटी के लोगों के इस दर्द की कल्पना करें. यहां एक लीटर पेट्रोल के लिए लोग 200 रुपये तक देने को मजबूर हैं. क्योंकि ज्यादातर पेट्रोल पंप पर तेल नहीं है. कुछ चुनिंदा पेट्रोल पंप जो अभी भी खुले हैं वहां कई किलोमीटर लंबी कतारें लगी हैं. राज्य में जीवन रक्षक दवाओं की भी भारी कमी है. ज्यादा खरीदारी और जमाखोरी के बाद ये कमी और बढ़ गई है. 


लोगों का जीना हुआ मुहाल


पहले से ही हिंसा से जूझ रहे राज्य में चीजों की कमी ने लोगों को और प्रभावित किया है. राहत शिविरों में शरण लेने वाले लोगों ने कहा कि सभी के लिए पर्याप्त भोजन नहीं था और उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता था. कई राहत शिविरों में लोग बीमार पड़ रहे हैं और उन्हें कोई चिकित्सा सहायता नहीं मिल पा रही. बारिश के बाद बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है. बढ़ती कीमतों के सात-साथ कर्फ्यू के कारण लोगों की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं, जिसमें हर दिन कुछ घंटों के लिए ही ढील दी जाती है. इस दौरान जरूरत का सामान या जरूरी दवाएं खरीदने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है. 




एटीएम हुए खाली, इंटरनेट है बंद


इन सबके ऊपर एटीएम में नकदी खत्म हो जाती है, जिससे पेमेंट करने में और दिक्कत होती है क्योंकि राज्य में इंटरनेट भी बंद है. वहीं आरबीआई ने भी हाल ही में घोषणा की थी कि 2,000 रुपये नोटों को प्रचलन से वापस ले लिया जाएगा. जिससे स्थिति काफी विकट हो गई है. बैंक कुछ घंटों के लिए खुलने शुरू हुए थे, लेकिन ताजा हिंसा भड़कने के बाद बैंकों को बंद कर दिया गया. 


केंद्रीय गृह मंत्री ने दिया आश्वासन


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की अपनी हालिया यात्रा के दौरान कहा था कि गैस सिलेंडर, पेट्रोल और सब्जियों की आपूर्ति के लिए व्यवस्था की गई है. लोगों को आश्वस्त करते हुए अमित शाह ने कहा था कि देश के बाकी हिस्सों से मणिपुर को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति खोंगसांग रेलवे स्टेशन पर एक अस्थायी प्लेटफॉर्म स्थापित करके सुनिश्चित की जाएगी. बहरहाल, संभावना है कि जैसे ही मामला शांत होगा, कीमतें भी कम हो जाएंगी.  


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