Manipur Violence: जातीय हिंसा से घिरे मणिपुर में हालात पहले की तुलना में काफी शांत नजर आ रहे हैं. मणिपुर हिंसा में विस्थापित लोगों के लिए पूरे राज्य में 349 राहत शिविर बनाए गए हैं, जिसमें कुल 50,000 से अधिक लोग रह रहे हैं. राज्य मंत्री डॉ. आर के रंजन ने रविवार (11 जून) ये जानकारी दी.


राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री डॉ. आर के रंजन ने कहा कि सभी जिलों में विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अब तक 990 हथियार और 13,000 राउंड गोला-बारूद बरामद किया जा चुका है. 


मूल्य नियंत्रण तंत्र हुआ स्थापित 
मंत्री ने आधिकारिक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि महिलाओं, बच्चों और वृद्ध के लिए खोले गए राहत शिविर के देखरेख के लिए जिलों और क्लस्टर नोडल अधिकारियों को जिम्मा सौंपा गया है. राज्य में स्थित कुल 242 बैंक शाखाओं में से 198 अभी चालू की जा चुकी हैं. वहीं बाकी बैकों को भी जल्द खोल दिया जाएगा.


रिपोर्ट में कहा गया है कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए राज्य में एक मूल्य नियंत्रण तंत्र स्थापित किया गया है. जिसके जरिए जरुरी वस्तुओं को एनएच-37 के माध्यम से राज्य में लाया जा रहा है. 5,000 मीट्रिक टन निर्माण सामग्री, ईंधन और आवश्यक वस्तुएं हिंसा भड़कने के बाद से 2,376 ट्रकों में मणिपुर लाया गया है.


इंटरनेट बैन 5 दिन के लिए और बढ़ा 
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोगों से हथियार को सरेंडर करने की अपील की थी. मणिपुर में हिंसा के दौरान भारी मात्रा में हथियारों की लूट पुलिस स्टेशनों से की गई थी. जिसके बाद से अबतक कुल मिलाकर 990 हथियार और 13,526 गोला-बारूद सरकार को सौंपे गए हैं.


सरकार ने शनिवार को हुए हिंसक घटनाओं को ध्यान में रखते हुए इंटरनेट पर 5 दिन के लिए बैन और बढ़ा दिया है. गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इंटरनेट पर बैन 15 जून दोपहर 3 बजे तक प्रभावी रहेगा.


राज्य में दस हजार जवान तैनात
इस बीच, इंफाल पूर्व के एक बीजेपी विधायक के घर पर हथियारों को वापस करने के लिए एक ड्रॉप बॉक्स स्थापित किया गया है. मणिपुर सरकार में मंत्री एल सुसिंद्रो मैतेयी के घर के बाहर एक ढके हुए शेड में एक बड़े पोस्टर पर अंग्रेजी और मैतेयी भाषा में लिखा हुआ है, 'कृपया अपने छीने हुए हथियार यहां छोड़ दें'.


गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेयी समुदाय की मांग के विरोध के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं. इस हिंसा में अब तक करीब 100 लोगों की मौत हुई है और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं. राज्य में शांति बहाली के लिए सेना और असम राइफल्स के लगभग 10,000 जवान तैनात किए गए हैं.


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