Manipur Violence News: मणिपुर सरकार हिंसा को काबू में करने के लिए 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन फोर्स' वाली व्यवस्था को अपना सकती है. इसके पीछे की वजह ये है कि राज्य सरकार चाहती है कि सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय बन पाए. मणिपुर में 3 मई से ही हिंसा जारी है, जिसकी वजह से अभी तक 170 से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी है. पूर्वोत्तर के इस राज्य में रुक-रुककर हिंसा की घटनाएं सामने आती जा रही हैं, जिसकी वजह से सरकार भी चिंतित है. 


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में मौजूद एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि सरकार की इस 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन फोर्स' व्यवस्था के तहत एक पैरामिलिट्री फोर्स का काम एक जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखना होगा. उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था का मकसद जवाबदेही तय करना और फोर्सेज के बीच टकराव होने की संभावना को कम करना है. अभी मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए पुलिस के अलावा पैरामिलिट्री फोर्स की भी मदद ली जा रही है. 


जल्द जारी हो सकता है 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन फोर्स' का आदेश


एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह के नेतृत्व में एक एकीकृत कमांड 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन फोर्स' व्यवस्था के लिए राज्यभर में सुरक्षाकर्मियों की फेरबदल का आदेश दे सकता है. अधिकारी ने कहा कि एक जिले में एक फोर्स होने से न सिर्फ समन्वय बन पाएगा, बल्कि जवाबदेही भी तय होगी. किसी जिले में तैनात फोर्स ही वहां होने वाले चीजों की जिम्मेदार होगी. वहीं, सीआरपीएफ के पास ज्यादा जवान हैं, तो उसे ही एक से ज्यादा जिलों में तैनात किया जाएगा. 


मणिपुर की सुरक्षा कौन कर रहा? 


वर्तमान में मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए अलग-अलग पैरामिलिट्री फोर्स की 200 से ज्यादा कंपनियां तैनात हैं. यहां पर मैतई और कुकी जनजातियों के बीच हुई हिंसा की वजह से अब तक कम से कम 175 लोगों की मौत हुई है. देश की पांच पैरामिलिट्री फोर्स (CRPF, BSF, ITBP, SSB, CISF) असम राइफल्स और सेना मणिपुर पुलिस के साथ मिलकर इस पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था और शांति स्थापित करने का काम कर रही हैं. 


अधिकारियों ने बताया कि फोर्सेज की तैनाती हर जिले में मौजूद फोर्सेज के ऑफिस या कैंप के आधार पर की जा सकती है. मणिपुर में 16 प्रशासनिक जिले हैं. हिंसा की शुरुआत होने से पहले से ही राज्य में सीआरपीएफ और सेना की कुछ कंपनियां तैनात थीं. पैरामिलिट्री फोर्सेज में सीआरपीएफ के सबसे ज्यादा जवान मणिपुर में तैनात हैं. हालांकि, अभी तक इस मामले पर मणिपुर के किसी भी सरकारी अधिकारी ने टिप्पणी नहीं की है. 


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