Manipur Violence: मणिपुर की स्थिति पर अब यूरोपीय संसद में चर्चा होने की खबरों के बीच भारत ने बुधवार (12 जुलाई) को अपना बयान जारी किया है. भारत ने कहा कि हमने ईयू सांसदों से स्पष्ट कर दिया है कि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है लिहाजा चर्चा के दौरान वह इस बात को याद रखें. 


मणिपुर की स्थिति पर चर्चा करने के लिए ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय संघ में चर्चा की गई है और इस पर बुधवार को चर्चा की जाएगी. मामले को लेकर प्रेस से बात करते हुए विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि ईयू में इससे जुड़े सासंदों को यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है.  


'यह हमारा निजी मसला'
वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "यूरोपीय संसद आज मणिपुर पर चर्चा करने वाली है. हमारे विदेश सचिव ने यूरोपीय लोगों से कहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है. यह निश्चित रूप से भारत का आंतरिक मामला है जिस पर अभी तक प्रधानमंत्री चुप हैं और कोई भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री के आशीर्वाद से मणिपुर नहीं गया है." 


जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा कि इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि अगर हमारी संसद में भी इस पर बहस की अनुमति दी जाए तो वह (प्रधानमंत्री मोदी) वास्तव में मणिपुर पर बहस में भाग लेंगे और बोलेंगे.


मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा की घटनाएं
मणिपुर में बीते दो महीने से हिसंक संघर्ष हो रहे हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार राज्य में हिंसा की घटनाओं पर नियंत्रण नहीं रख सकी है. वहीं मणिपुर सरकार ने सोमवार (10 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने हिंसा प्रभावित राज्य में जाति, पंथ, धर्म, जनजाति, समुदाय आदि से परे सभी नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोत्तम प्रयास किया. 


सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट में एक जनजातीय समुह ने मणिपुर की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव ने राज्य में कानून और व्यवस्था से जुड़ी रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश को सौंपी.


प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने इस सुझाव को रिकॉर्ड पर ले लिया. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि वह इस मामले में किसी भी पक्ष को कोई भी निर्देश नहीं देंगे क्योंकि ऐसा करने पर वहां का माहौल खराब हो सकता है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के लोगों से अपील करते हुए कहा कि सभी पक्षों को हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए.


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