Manipur Violence News: मणिपुर की राजधानी इंफाल में कुकी समुदाय के 'आखिरी बचे' 24 लोगों को शुक्रवार (1 सितम्बर) की रात उनके घरों से सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए हटा दिया गया. समुदाय के दो सदस्यों ने शनिवार को इस बारे में मीडिया को जानकारी दी.
मणिपुर में बीती 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से हजारों कुकी आदिवासी मैतेई बहुल इंफाल घाटी को छोड़कर जा चुके हैं. इसी तरह से कुकी बहुल इलाकों से मैतेई समुदाय के लोगों ने पलायन किया है.
हालांकि, अभी भी पश्चिमी इंफाल जिले के न्यू लाम्बुलाने जैसे कुछ क्षेत्रों में केंद्रीय बलों के सुरक्षा घेरे में कुकी समुदाय के लोग निवास कर रहे थे. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार रात इन सभी लोगों को अपने घरों को खाली करने को कहा गया.
आधी रात को घरों से हटाने पहुंचे सुरक्षाकर्मी
समुदाय के दो सदस्यों ने शनिवार को प्रेस में बयान जारी कर बताया, "इम्फाल के आखिरी बचे कुकी इलाके के आखिरी बचे निवासियों को 'गृह विभाग से होने का दावा करने वाले वर्दीधारी सशस्त्र कर्मियों' की एक टीम ने 'जबरन बेदखल' कर दिया."
बयान में कहा गया, हम चौबीस लोगों को अपना सामान पैक करने का भी समय नहीं दिया गया. हमें इंतजार कर रहे कैस्पर बुलेटप्रूफ वाहनों में ठूंस दिया गया था. हममें से कई लोगों को नींद से जगाया गया और वाहनों में डाल दिया गया. दावा किया कि कपड़े बदलने का भी मौका नहीं दिया गया.
समुदाय ने हटाए जाने को कहा जबरन निष्कासन
इसमें आगे कहा गया कि "हम अपनी इच्छा के खिलाफ अपहरण की तरह से किए गए जबरन निष्कासन पर अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हैं. हमें खेद है कि भारत जैसा देश समाज और राज्य को नष्ट करने की कोशिश करने वाली अराजक ताकतों की धमकी के आगे झुककर अपने नागरिकों के जीवन और सुरक्षा को उनके निवास स्थान पर सुनिश्चित करने के लिए तैयार नहीं है."
अधिकारियों ने बताई हटाए जाने की वजह
रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि कुकी निवासियों के लिए खतरे का इनपुट था, इसलिए उन्हें आधी रात को घर छोड़ने के लिए कहा गया था. अधिकारियों के मुताबिक सुरक्षा के तहत उन्हें सरकारी शरणाश्रय में ले जाया गया.
मणिपुर में 3 मई को एक रैली के बाद जातीय हिंसा भड़क उठी थी. हिंसा की चपेट में अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 50,000 लोग अपना घर छोड़कर शरणास्थलों में रहने को मजबूर हैं.
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