Manipur Violence: मणिपुर लगातार हिंसा जारी है. इंफाल में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह के आवास में गुरुवार (15 जून) देर रात को भीड़ ने तोड़फोड़ की. इसी बीच कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसको लेकर शुक्रवार (16 जून) को केंद्र सरकार पर निशाना साधा.


तृणमूल कांग्रेस की चीफ ममता बनर्जी ने कहा, ''मणिपुर में भी सेंट्रल फोर्स तैनात थी, लेकिन क्या हुआ? मंत्री का घर जला दिया गया. 150 लोगों की हत्या हुई, आपकी सेंट्रल फोर्स ने क्या किया. साल 2013 के चुनाव में भी सेंट्रल फोर्स तैनात थी लेकिन 39 लोगों की हत्या हुई. इससे पहले 2003 के चुनाव यानी सीपीएम के जमाने में 70 लोगों की हत्या हुई.''


वहीं कांग्रेस ने कहा कि मणिपुर में स्थिति नियंत्रण के बाहर है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप हैं.  पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दावा किया कि राज्य पिछले 40 दिनों से जल रहा है. जो सत्ता में हैं वे हथियारों और गोला-बारूद के साथ उग्रवादियों की मदद कर रहे हैं.


पीएम मोदी का किया जिक्र
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पीएम मोदी ने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है. उनकी सरकार ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. केंद्र सरकार इसे जारी रखने की अनुमति क्यों दे रही है? इस भयावह स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है?


उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए क्योंकि देश जवाब मांग रहा है.  केंद्रीय मंत्री आर के रंजन सिंह आवास पर हमले के बाद वह आखिरकार बोलेंगे?


आर के रंजन सिंह ने क्या कहा?
न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री आर के रंजन सिंह  ने उनके आवास में तोड़-फोड़ की घटना के बाद कहा कि मैं तीन मई से शांति स्थापित करने और हिंसा रोकने की कोशिश कर रहा हूं.... यह दो समुदायों के बीच गलतफहमी का मामला है. सरकार ने एक शांति समिति का गठन किया है, प्रक्रिया जारी है.


उन्होंने कहा कि मैंने इसे (आवास को) बहुत मेहनत से कमाए धन से बनाया है. मैं भ्रष्ट नहीं हूं. इस सरकार में कोई भ्रष्ट नहीं है.


दरअसल सुरक्षा बलों और दमकल कर्मियों ने भीड़ की आग लगाने की कोशिश रात नाकाम कर दी और मंत्री आर के रंजन सिंह के आवास को जलने से बचा लिया. 


राहुल गांधी ने क्या कहा था?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी गुरुवार (15 जून) को बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि मणिपुर में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा जाए. उन्होंने ट्वीट किया,‘‘बीजेपी की नफरत की राजनीति के कारण मणिपुर 40 दिनों से जल रहा है जिस वजह से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. प्रधानमंत्री ने भारत को निराश किया है और वह पूरी तरह चुप हैं.’’


उन्होंने कहा, ‘‘हिंसा के इस चक्र को बंद करने और शांति बहाली के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रदेश में भेजा जाना चाहिए.  चलिए ‘नफरत का बाजार’ बंद करते हैं और मणिपुर के हर दिल में ‘मोहब्बत की दुकान खोलते है.’’


केंद्र सरकार ने क्या किया?
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि मणिपुर में कई उपायों के जरिये सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए केंद्र सरकार ने हर संभव प्रयास किए गए हैं. सूत्रों ने बताया कि इन उपायों में सुरक्षा बलों की सीमावर्ती क्षेत्रों और अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के अलावा वरिष्ठ अधिकारियों की कड़ी निगरानी शामिल है.


घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्थिति का आकलन करने और केंद्रीय बलों के बेहतर इस्तेमाल और समन्वय के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक एस. एल. थाउसेन को मणिपुर भेजा है. 


मामला क्या है?
मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें शुरू हुई थी. इसके बाद से राज्य में राज्य में अब तक लगभग 120 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं. 


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