मणिपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, CBI महिलाओं के बयान दर्ज करेगी या नहीं, होगा फैसला
Manipur Violence News: इसके पहले मणिपुर वायरल वीडियो मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को महिलाओं का बयान दर्ज करने से रोक दिया था.
Manipur Violence: मणिपुर पर सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई शुरू हुई है. इस दौरान सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि हमने एक स्टेटस रिपोर्ट तैयार की है. सॉलिसीटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि सभी थानों को निर्देश दिया गया कि महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों में तुरंत FIR दर्ज कर तेज कार्रवाई करें.
इसके पहले मंगलवार को ही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को मणिपुर में यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज न करने का निर्देश दिया था. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने महिलाओं की ओर से पेश वकील निजाम पाशा की दलीलों पर संज्ञान लिया.
सीबीआई लेने वाली थी महिलाओं के बयान
सीबीआई ने इन महिलाओं को आज अपने समक्ष पेश होने तथा बयान दर्ज कराने को कहा था. केंद्र तथा मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है.
पीठ ने कहा, ‘‘उन्हें (सीबीआई अधिकारियों को) इंतजार करने के लिए कहिए. हम आज अपराह्न दो बजे इस पर सुनवाई करेंगे.’’ इस पर मेहता ने जवाब दिया, ‘‘मैं यह संदेश दे दूंगा. अगर हमने कुछ न किया होता तो श्रीमान कपिल सिब्बल (महिलाओं के वकील) हम पर कुछ न करने का आरोप लगा चुके होते.’’ मेहता ने कहा कि वह सीबीआई अधिकारियों को बयान दर्ज न करने के लिए कहेंगे.
शीर्ष न्यायालय मणिपुर में जातीय हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर दोपहर बाद दो बजे फिर से सुनवाई शुरूी की. सुप्रीम कोर्ट जांच की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति या फिर विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दे सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने घटना को बताया था भयावह
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में संबंधित महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के वीडियो को सोमवार को “भयावह” करार देते हुए प्राथमिकी दर्ज करने में हुई देरी की वजह का पता लगाने का निर्देश दिया था. इसके अलावा न्यायालय ने जांच की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति या फिर विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का सुझाव भी दिया था.
न्यायालय ने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा को ‘‘अभूतपूर्व’’ करार देते हुए पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और केरल जैसे विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में इसी तरह की कथित घटनाओं को लेकर दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
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