पब्लिक इंटरेस्ट: मणिपुर में कैसे आएगी शांति, मैतेई और कूकी के बीच झगड़े का हल क्या?
पिछले 77 दिन से हमारे देश का छोटा सा राज्य मणिपुर हिंसा की आग से झुलस रहा है. भाई-भाई के बीच नफरत की आग लगी हुई है और वह एक दूसरे के खून के प्यासे हैं.
ABP's Public Interest On Manipur Violence: मणिपुर बीते दो महीने से भी अधिक समय से नस्लीय हिंसा की आग से जल रहा है. बुधवार (19 जुलाई) को वायरल हुए वीडियो के बाद यह सवाल उठने लगा है कि आखिर इस समस्या का हल क्या है? इससे पहले यह जानना भी जरूरी है कि आखिर इस समस्या का समाधान कैसे होगा ताकि देश के इस पूर्वी राज्य में शांति बहाल की जा सके.
दो महीने से मणिपुर में जाति के नाम पर खून खराबा हो रहा है. यहां पर 120 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, हजारों घर बेघर हुए हैं और कई लोगों का आशियाना उजड़ गया है. किसी ने अपना पति खोया है तो किसी का बेटा लौटकर नहीं आया. घर खंडहर हो गए, संगीनों के साए में जिंदगी गुजर रही है. मगर हालात हैं कि सुधर ही नहीं रहे हैं.
क्यों हो रहा है मणिपुर में बवाल?
मणिपुर में तीन बड़े समुदाय मैतेई, नागा और कुकी हैं. मैतई ज्यादातर हिंदू हैं और वह ओबीसी कैटेगरी में आते हैं. राज्य में मैतई लोगों की जनसंख्या भी ज्यादा है. राज्य में नागा और कुकी ज्यादातर ईसाई हैं और ये दोनों अनुसूचित जनजाति में आते हैं.
राज्य में मैतेई की आबादी करीब 60% है और ये समुदाय इंफाल घाटी में रहता है. राज्य के कुल 10% भूभाग में मैतेई समुदाय रहता है और बाकी का जो ये 90 % हिस्सा है, वो पहाड़ी है. यहां पर कुकी और नागा समुदाय को मिलाकर राज्य की जनसंख्या के करीब 40% लोग बसे हुए हैं.
पहाड़ में नागा और कुकी को मिलाकर 30 से ज्यादा छोटी-बड़ी जनजातियां हैं. ये अनुसूचित जनजाति में आती है. इनके पास कई सुविधाएं हैं और पहाडी इलाकों में सिर्फ यही रह सकते हैं. मैतेई समुदाय इसका विरोध करता है. वो कहते हैं कि हमें भी एसटी का दर्जा मिलना चाहिए क्योंकि उनके पास रहने के लिए रहने को जमीन कम है. अगर एसटी का दर्जा मिलेगा. तो वो पहाड़ों पर शिफ्ट हो सकेंगे.
कुकी समुदाय पहाड़ पर नहीं चाहता है मैतेई का दखल
यही विवाद की जड़ है. क्योंकि पहाड़ी इलाको में रहने वालों को लगता है कि अगर मैतई को एसटी का दर्जा मिलता है, तो वो ऊपरी इलाकों में आएंगे और उनके अधिकार लेंगे. विवाद पहले भी था. लेकिन इस बार मणिपुर हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा. कि मैतेई समुदाय को शेड्यूल ट्राइब वाला स्टेटस देने पर विचार होना चाहिए. बस इसी फैसले के बाद से राज्य में हिंसा जारी है.
केंद्र सरकार ने अभी तक क्या किया?
लड़ाई एक घर (राज्य) में दो भाईयों (मैतेई-कुकी) की है तो इसे घरवालों को ही सुलझाना चाहिए. घर मणिपुर है और यहां गार्जियन के रोल में केंद्र सरकार है. सरकार ने अभी तक क्या किया. ये भी आपको बताते हैं. सरकार ने हालात काबू करने के लिए सेना और असम राइफल्स को डिप्लॉय किया. 40 IPS अधिकारियों के नेतृत्व में 20 मेडिकल टीमें भेजी गईं हैं, और भारतीय वायु सेना को भी सर्विस में लगाया गया.
जहां हिंसा हुई वहां कर्फ्यू लगाया. सोशल मीडिया पर फर्जी और गलत जानकारी पोस्ट ना हो. हिंसा ना भड़के. इसलिए इंटरनेट पर बैन लगाया. आगजनी, लूटपाट, हिंसा करनेवालों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं. खुद गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर का दौरा किया. हिंसा में शामिल लोगों से हथियार डालने की अपील भी की.