मणिपुर में भड़की हिंसा से 'संकट' में घिरी BJP सरकार! NPP ने किया समर्थन वापस लेने का ऐलान
Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा के बाद लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं. ऐसे में एनपीपी ने एक बड़ा उठाते हुए मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है.
NPP Pulls Out Support In Manipur: नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और उन पर राज्य में चल रहे संकट को हल करने में विफल रहने का आरोप लगाया है.
रविवार (17 नवंबर) को बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को लिखी चिट्ठी में एनपीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने मणिपुर में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताई. चिट्ठी में कहा गया है कि स्थिति और भी खराब हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप और अधिक निर्दोष लोगों की जान चली गई है और राज्य के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
क्या कहकर एनपीपी ने वापस लिया समर्थन?
नड्डा को लिखी चिट्ठी में कहा गया है, "हमें दृढ़ता से लगता है कि बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर राज्य सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है. मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने का फैसला किया है."
एनपीपी के पास कितने विधायक?
एनपीपी के पास मणिपुर में सात विधायक हैं. इन विधायकों में शेख नूरुल हसन (क्षेत्रीगाओ एसी), खुराइजम लोकेन सिंह (वांगोई एसी), इरेंगबाम नलिनी देवी (ओइनम एसी), थोंगम शांति सिंह (मोइरंग एसी), मयंगलमबम रामेश्वर सिंह (काकचिंग एसी), एन. कायिसि (तादुबी एसी) और जंघेमलंग पनमेई (तामेंगलोंग एसी) शामिल हैं.
मणिपुर सरकार पर क्या होगा असर?
2022 के मणिपुर विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 32 सीटें हासिल कीं और एनपीपी ने 7 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस (5) सहित अन्य दलों ने 21 सीटें जीतीं. 60 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी के सात विधायक हैं. समर्थन वापस लेने से सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि बीजेपी के पास खुद का बहुमत है.
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