Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा जारी है. इसी बीच इंफाल वेस्ट जिले में गुरुवार (5 जुलाई) को अज्ञात बंदूकधारियों ने एक स्कूल के बाहर एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी. यह घटना लाम्फेल पुलिस थाने के अंतर्गत क्वाकीथेल मायाई कोइबी में हुई.


एक दिन पहले ही राज्य में पहली से आठवीं तक की क्लास शुरू हुई हैं जो दो महीने से हिंसा के कारण बंद थीं.  न्यूज एजेंसी पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि महिला विद्यालय के पास किसी कार्य के लिए गई थी, लेकिन स्कूल से उसका कोई लेना-देना नहीं था. 


मणिपुर में लगातार हो रही है हिंसा 
मणिपुर के कांगपोकपी जिले के एक गांव में गुरुवार को सुबह रुक रुक कर गोलीबारी की आवाजें सुनाई दीं. ऑटोमेटिक गन से कुछ लोगों ने गांव वालों पर हमला किया, लेकिन सुरक्षा बलों ने झड़प को टाल दिया. सूत्रों ने यह जानकारी दी. 


पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि यह घटना बुधवार दोपहर तीन बजकर करीब 40 मिनट पर फेलेंग गांव के पास हुई. आसपास के इलाकों से सशस्त्र समूह क्षेत्र में एकत्र हो गए थे जिससे तनाव बढ़ गया था. 


उन्होंने कहा कि करीब 1,000 से 1,500 महिलाओं ने सड़कों को बाधित कर दिया था ताकि इलाके में अतिरिक्त सुरक्षाबल ना पहुंच पाएं, लेकिन इलाके में असम राइफल्स के जवानों की तैनाती से स्थिति नियंत्रण में आ गई. 


चुराचांदपुर में बड़ी संख्या में कुकी समुदाय के लोगों ने बुधवार को प्रदर्शन किया.  उन्होंने सार्वजनिक मैदान से तुईबोंग शांति मैदान तक रैली निकाली. सूत्रों ने बताया कि रैली में करीब 4,000 लोग शामिल हुए. अधिकतर ने योद्धा की पोशाक पहनी हुई थी. रैली बुधवार शाम सात बजे संपन्न हुई जिसमें किसी भी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली है. 


मणिपुर में कब हिंसा शुरू हुई थी?
पीटीआई के मुताबिक, मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता रैली' निकालने के बाद राज्य में तीन मई को जातीय हिंसा भड़की थी जिसमें अबतक 100 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं. हिंसा में 3,000 से अधिक लोग घायल हो गए.


राज्य में हिंसा पर नियंत्रण पाने और हालात सामान्य करने के लिए मणिपुर पुलिस के साथ करीब 40,000 केंद्रीय सुरक्षा जवानों को तैनात किया गया है. राज्य की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है. ये ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आबादी में जनजातीय नागा और कुकी का 40 फीसदी हिस्सा है. ये पहाड़ी जिलों में रहते हैं. 


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