Violence In Manipur: मणिपुर में हो रही हिंसा को अब 3 महीने पूरे होने वाले हैं. विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है और सरकार से मणिपुर को लेकर जवाब मांग रहा है. इसी क्रम में ‘इंडियन नेशनल डेवपलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर जा रहा है. इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री शायद मणिपुर को भूल गए हैं लेकिन हम नहीं भूले हैं इसलिए हम पीड़ितों के बीच जा रहे हैं.


उन्होंने कहा, 'यह सही है कि हिंसा प्रभावित जगहों पर जाना हमारे लिए मुश्किल है लेकिन हम राज्य में जारी हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात राहत कैंप में जाकर उनसे मुलाकात करेंगे. हम यह देखेंगे कि हिंसा से प्रभावित हुए लोगों के लिए सरकार आखिर क्या कर रही है. सरकार ने अब तक उनके लिए क्या किया है. हम संसद में मणिपुर के लोगों की बात रख सकें इसलिए हम वहां जा रहे हैं.'


मणिपुर जाने से पहले क्या बोले विपक्षी दलों के सांसद?
लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, हम लोग मणिपुर का दुख और पीड़ा जानने जा रहे हैं. मणिपुर का मुद्दा गंभीर होता जा रहा है. मणिपुर में जातीय दंगा हो रहा है. दूसरे राज्य भी इसमें शामिल हो रहे है. सरकार मणिपुर को लेकर सीरीयस नहीं है. मुझे लगता है की बहुत जगह हमलोगों को जाने भी नहीं दिया जायेगा. सरकार मणिपुर पर बहुत कुछ छुपा रही है. 


कौन-कौन सांसद मणिपुर के दौर पर जा रहे हैं?
मणिपुर के दौरे पर जा रहे विपक्षी गठबंधन इंडिया के कुल 21 सांसद हैं. जिसमें कांग्रेस के 4 सांसद, JDU के 2 सांसद, TMC के 1 सांसद, DMK के 1 सांसद, RLD का 1 सांसद, शिवसेना( UBT) का 1 सांसद, AAP से 1 सांसद के अलावा दूसरे विपक्षी दलों के 10 और सांसद डेलिगेशन का हिस्सा होंगे. संसद में लगातार हंगामे के बीच विपक्ष सरकार पर मणिपुर को लेकर लगातार हमलावार है.


प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई और फूलोदेवी नेताम, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और अनिल हेगड़े, तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ माजी, द्रमुक की कनिमोई, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पीपी मोहम्मद फैजल, राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन और वीसीके पार्टी के टी थिरुमावलवन शामिल होंगे.


विपक्ष की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा पर बयान दें और सरकार मामले पर चर्चा करें. वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के दोनों सदन में मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए तैयार है.


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