RSS Appeal Manipur Violence: आरएसएस ने हिंसा प्रभावित मणिपुर (Manipur) के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. आरएसएस (RSS) ने रविवार (18 जून) को बयान जारी कर कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि अशांति और हिंसा का सिलसिला अब तक थमा नहीं है. आरएसएस ने कहा कि वह संकट की इस घड़ी में विस्थापित लोगों और मणिपुर हिंसा के अन्य पीड़ितों के साथ खड़ा है, जिनकी संख्या 50,000 से ज्यादा है. 


संघ ने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा, घृणा के लिए कोई जगह नहीं है. आपसी संवाद, भाईचारे की भावना से ही समाधान संभव है. बयान में कहा गया कि मेइती समुदाय में असुरक्षा की भावना, विवशता और कुकी लोगों की असल चिंताओं को दूर करके इसका समाधान निकाला जा सकता है. आरएसएस स्थानीय प्रशासन, पुलिस, सेना और केंद्रीय एजेंसियों सहित सरकार से मणिपुर में हिंसा को तुरंत रोकने में मदद करने की अपील करता है. 


मणिपुर के लोगों से आरएसएस की अपील


आरएसएस ने आगे कहा कि मणिपुर में पिछले 45 दिनों से लगातार हो रही हिंसा बेहद चिंताजनक है. ये बड़े दुर्भाग्य की बात है कि सदियों से आपसी सौहार्द और सहयोग से शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले लोगों में जो अशांति और हिंसा भड़क उठी, वह अभी तक नहीं रुकी है. 


शांति की अपील करते हुए आरएसएस ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी पूरे नागरिक समाज, मणिपुर के राजनीतिक समूहों और आम लोगों से अपील करता है कि वे वर्तमान अराजक और हिंसक स्थिति को समाप्त करने के लिए हर संभव पहल करें और मणिपुर में मानव जीवन की सुरक्षा और स्थायी शांति सुनिश्चित करें. 


कांग्रेस ने संघ पर कसा तंज


आरएसएस के इस बयान पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने तंज कसा है. कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया कि 45 दिनों की अंतहीन हिंसा के बाद आखिरकार आरएसएस ने मणिपुर में शांति और सद्भाव के लिए एक सार्वजनिक अपील जारी की है. आरएसएस का जाना-पहचाना दोगलापन पूरी तरह से दिखाई दे रहा है, क्योंकि इसकी विभाजनकारी विचारधारा और ध्रुवीकरण की गतिविधियां नॉर्थईस्ट की प्रकृति को बदल रही हैं, जिसका मणिपुर एक दुखद उदाहरण है. 


पीएम मोदी पर साधा निशाना


पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए जयराम रमेश ने कहा कि संघ के बहुचर्चित पूर्व प्रचारक का क्या, जो अब केंद्र और राज्य में प्रशासनिक तंत्र को नियंत्रित करते हैं? भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर पर कब कुछ कहेंगे, कुछ करेंगे? क्या वह केवल प्रचार मंत्री हैं, प्रधानमंत्री नहीं हैं. गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को आदिवासी एकजुटता रैली के बाद हिंसा शुरू हो गई थी. जिसमें अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.


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