Manipur Situation Improved: मणिपुर में आदिवासी आंदोलन के बाद भड़की हिंसा की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है. राज्य में हिंसा थमी है, लेकिन अभी भी 8 जिलों में कर्फ्यू जारी है. हिंसा की किसी भी संभावना को रोकने के लिए राज्य में सेना और केंद्रीय सुरक्षा बलों की 100 से ज्यादा टुकड़ियां तैनात हैं. 13 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हालात की समीक्षा की है.
3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) ने राज्य के मैतेई समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के विरोध में रैली का आयोजन किया था. इस रैली के हिंसक हो जाने के बाद राज्य में अराजकता फैल गई थी. कांगपोकपी जिले के सैकुल में गोली लगने से दो की मौत हो गई थी, जबकि लगभग 11 लोग घायल हुए थे.
100 से ज्यादा टुकड़ियां तैनात
अब तक आरएएफ, सीआरपीएफ और बीएसएफ सहित अर्धसैनिक बलों और सेना की 100 से ज्यादा टुकड़ियों को राज्य में तैनात किया गया है. भारतीय वायु सेना ने असम के हवाई क्षेत्रों से हिंसा प्रभावित मणिपुर के लिए उड़ान भरने के लिए सी17 ग्लोबमास्टर और एएन 32 विमानों का इस्तेमाल किया है.
13000 लोगों को सुरक्षित निकाला गया
भारतीय सेना ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि लगभग 13,000 नागरिकों को हिंसाग्रस्त इलाकों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. ये सभी वर्तमान में शेल्टर और सैन्य चौकियों में रह रहे हैं.
बयान में आगे कहा गया है कि चुराचांदपुर, कांगपोकपी, मोरे और काकचिंग में अब स्थिति नियंत्रण में हैं और गुरुवार रात से कोई बड़ी हिंसा नहीं हुई है. आगजनी और सड़क जाम की छिटपुट घटनाओं के अलावा इंफाल में लोग घरों में ही रहे.
शूट एंड साइट आखिरी उपाय- डीजीपी
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पी डोंगल ने कहा कि राज्य के गृह विभाग ने शूट एट साइट का आदेश दिया है, लेकिन यह अंतिम उपाय है. उन्होंने कहा, "अगर जनता चुपचाप चली जाती है, तो इसकी कोई जरूरत नहीं होगी."
उन्होंने लोगों को आगाह किया कि, "फ्लैग मार्च जारी है और पुलिस जनता के साथ जैसे पेश आती है, सेना वैसा नहीं करती है. उन्हें दुश्मन से लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जबकि पुलिस को अपने ही लोगों को नियंत्रित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. इसलिए हम सभी से अपील करते हैं कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक वे अपने घरों में शांति से रहें"
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