Manipur Violence: मणिपुर में केंद्रीय विदेश और शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह के आवास बाहर महिलाओं ने रैली की. रैली ने उस वक्त उग्र रूप धारण कर लिया, जब प्रदर्शनकारियों ने आवास पर पथराव किया. प्रदर्शनकारी मंत्री से जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में स्थिति पर संसद में बयान देने की मांग कर रहे थे. 


केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री सिंह के आवास पर दो महीने में हुआ यह दूसरा हमला है. इस बीच, मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने राज्य में शांति बहाल करने की मांग करते हुए दिन में एक रैली निकाली.


पुलिस ने छात्रों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे क्योंकि युवक उस इलाके से गुजर रहे थे, जिसमें उन्हें रैली करने की अनुमति नहीं थी. कांगपोकपी जिले में चार मई को हुई एक घटना का वीडियो सामने आने के कुछ दिन बाद ये घटनाएं हुई हैं. 


देशभर में आक्रोश का हो गया है माहौल
वीडियो में, भीड़ में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाते हुए देखा जा सकता है. वीडियो के सामने आने के बाद देशभर में आक्रोश का माहौल हो गया है. मंत्री के आवास पर जिस समय हमला हुआ, तब वहां कोई भी मौजूद नहीं था.


हालांकि मकान को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा. इंफाल शहर के कोंगबा इलाके में स्थित मंत्री के आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने इंटरनेट सेवाएं बहाल करने की भी मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया.  


एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम मांग करते हैं कि मंत्री राज्य की स्थिति के बारे में संसद में बोले. हम चाहते हैं कि इंटरनेट सेवाएं बहाल की जाएं. हम लोगों को बताना चाहते हैं कि हमारे साथ क्या हो रहा है.”


इससे पहले भी हो चुका है हमला?
अधिकारियों ने तीन मई को जातीय समुदायों के बीच झड़पें शुरू होने के बाद पहली बार पूर्वोत्तर राज्य में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया था. 'शांति और लोक व्यवस्था में किसी भी तरह के खलल को रोकने के लिए' इंटरनेट पर लगी पाबंदी समय-समय पर बढ़ाई गई है.


इससे पहले, 15 जून की रात भीड़ ने मंत्री के आवास पर हमला कर उसे आग के हवाले करने की कोशिश की थी.मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्रों के एक वर्ग ने पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने की मांग को लेकर इंफाल शहर में एक रैली निकाली. मणिपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ द्वारा आयोजित रैली यहां कांचीपुरम स्थित विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार से शुरू हुई.


छात्रों ने निकाली रैली
पुलिस ने कहा कि उनके पास करीब दो किलोमीटर दूर काकवा जाने की अनुमति थी.  हालांकि, छात्र काकवा से आगे और विश्वविद्यालय के द्वार से लगभग चार किलोमीटर दूर सिंगजामेई तक रैली करना चाहते थे.


जब प्रदर्शनकारियों ने काकवा पार कर सिंगजामेई जाने की कोशिश की, तभी पुलिस ने उन्हें तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, जिसके चलते अधिकारियों और छात्रों के बीच  बहस हुई. छात्रों ने पुलिस कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि वे निहत्थे थे और शांतिपूर्ण रैली करना चाहते थे.


मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.


मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और उनमें से ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी सहित आदिवासी समुदाय 40 प्रतिशत हैं और वे मुख्य रूप से पर्वतीय जिलों में रहते हैं.


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