Supreme Court On Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई है कि हाई कोर्ट किसी समुदाय को जनजाति की लिस्ट में शामिल करने का आदेश कैसे दे सकता है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 17 मई को होनी है.


चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने हालात सामान्य करने के लिए सरकार की तरफ से उठाए जा रहे कदमों को रिकॉर्ड पर लिया. साथ ही हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया. राहत शिविरों में रह रहे लोगों को सुविधा और मेडिकल सहायता देने का निर्देश भी दिया है.


वहीं, मणिपुर सरकार ने बताया कि इस बारे में उचित कानूनी कदम उठाए जा रहे हैं. राज्य सरकार ने यह भी बताया कि पर्याप्त सुरक्षा बल की तैनाती की गई है. हालात सामान्य हो रहे हैं. आज कर्फ्यू में कुछ घंटे की ढील दी गई है.


कर्फ्यू में दी गई ढील


हिंसा प्रभावित मणिपुर में सोमवार को सुबह कुछ घंटों के लिए कर्फ्यू में ढील देने के साथ ही जनजीवन कुछ हद तक सामान्य स्थिति में लौटने लगा. अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान इंफाल में लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए अपने घरों से निकले. अधिकारियों ने बताया कि कर्फ्यू में ढील के दौरान सेना के ड्रोन और हेलीकॉप्टरों के जरिए स्थिति पर नजर रखी गई. पिछले कुछ दिनों से जातीय हिंसा से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों में सेना और असम राइफल्स के जवानों ने फ्लैग मार्च किया.


गौरतलब है कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी, जो रातोंरात पूरे राज्य में फैल गई थी। इस हिंसा में कम से कम 54 लोगों की जान चली गई.


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