Manipur News: नॉर्थ-ईस्ट राज्य मणिपुर (Manipur) में जारी हिंसा फिलहाल थमती नजर आ रही है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर सोमवार को दो याचिकाओं पर सुनवाई हो सकती है जिससे माहौल पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. मणिपुर में फिलहाल हालात संभलते नजर आ रहे हैं और हिंसा पीड़ितों को अलग-अलग राहत कैंपों में रखा जा रहा है. इसके साथ ही राहत की बात यह है कि शांति बहाली की सभी कोशिशें फिलहाल पटरी पर दिखाई दे रही हैं. 


मणिपुर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 2 याचिकाएं दाखिल हुई हैं. इनमें से एक याचिका बीजेपी विधायक गांगमेई की है जिसमें कहा गया है कि मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने का हाईकोर्ट का आदेश असंवैधानिक है, जबकि दूसरी याचिका मणिपुर ट्राइबल फोरम की है जिसमें हिंसा की उच्चस्तरीय जांच और जनजातीय समुदाय को सुरक्षा देने की मांग की गई है. पहली याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने इस समस्या की असली जड़ को नहीं समझा है. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि यह राजनीतिक और सरकार से जुड़ा मुद्दा था, इसमें कोर्ट की कोई भूमिका नहीं थी.  


क्या है पूरा मामला?


मणिपुर में भड़की हिंसा में 54 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. दरअसल, 3 मई को मणिपुर हाई कोर्ट ने एक निर्देश दिया था, जिसमें कोर्ट ने सरकार को गैर-जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने वाली 10 साल पुरानी सिफारिश को लागू करने के निर्देश दिए. बस बात यहीं से बिगड़ना शुरू हो गई.


हाईकोर्ट के इस फैसले से नाराज चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) ने ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’बुलाया था. यह टिपिंग पॉइंट था यानी यहां से बात बड़ी हुई और हिंसा तक जा पहुंची थी. इसके तुरंत बाद इलाके में हिंसा भड़क गई और बात मौत के सिलसिलों तक पहुंच गई.


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