Mizoram Election 2023: इस साल के अंत में मिजोरम विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हुए हैं. फिलहाल सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा मणिपुर हिंसा है, जिसमें कुकी के समर्थन में पूरा मिजोरम खड़ा हो गया है. चलिए बताते हैं इस हिंसा का चुनाव पर क्या कुछ असर पड़ सकता है.
मिजोरम में कुल 40 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं. साल 2018 की बात करें तो मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) कुल 40 में से 26 सीटों पर चुनाव जीता था. कांग्रेस (INC), जो चुनाव से पहले सत्ता में थी, 5 सीटें जीती. मिजो नेशनल फ्रंट को कुल 2 लाख 38 हजार 168 वोट मिले थे. मिजो नेशनल फ्रंट को कुल 37.7 प्रतिशत मत मिले थे.
वहीं, कांग्रेस को 1,89,404 वोट मिले थे. पार्टी का वोट प्रतिशत 29.98 रहा था. जोरम पीपल्स मूवमेंट को 1,44,925 वोट मिले थे और मत प्रतिशत 22.9 था. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 51,087 वोट मिले थे और मतदान प्रतिशत 8.09 था. बीजेपी ने एक सीट पर जीत हासिल की थी.
इस चुनाव में क्या हैं अहम मुद्दे
- 2023 के विधानसभा चुनावों में मणिपुर बनाम मिजोरम एक मुद्दा है क्योंकि असम से विरोध होने के बावजूद मिजोरम ने मणिपुर के विरोध में जातिगत आधार पर लड़ाई की है.
- असम-मिजोरम सीमा विवाद में मिजोरम और असम के बीच सीमा विवाद, खासकर काचार हिल्स, हैलाकंडी और करीमगंज जैसे क्षेत्रों में, एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है.
- इस बार के चुनावों का अहम मुद्दा हिंसक संघर्ष होगा. मिजोरम और असम के समुदायों के बीच भूमि स्वामित्व और सीमांकन के मुद्दों पर हिंसक संघर्ष या तनाव के मामले हो सकते हैं.
- जनजातीय और नैतिक अधिकार भी इन चुनावों का मुद्दा बन सकते हैं. मिजोरम के विविध जनजातीय जनसंख्या के साथ, जनजातियों के अधिकारों, सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा और समान वितरण से संबंधित मुद्दे हो सकते हैं.
- इसके साथ ही महिला सुरक्षा, लैंगिक समानता और महिलाओं की सरकार में प्रतिनिधित्व के बारे में चिंताएं उजागर की जा सकती हैं.
- वहीं, मिजोरम में कुकी मुद्दा एक जटिल और ऐतिहासिक रूप से जुड़ी हुई समस्या है. इसमें कुकी जनजाति और राज्य सरकार और अन्य स्थानीय समुदायों के संवाद शामिल हैं. कुकी लोग भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक प्रमुख जनजाति हैं, जिनके पास मिजोरम समेत विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में जनसंख्या है.
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