Delhi Govt Vs Centre: 'अधिकारी फोन नहीं उठा रहे, बैठकों में भाग लेने से बच रहे', मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा
Delhi Govt Dispute with Centre: मनीष सिसोदिया की ओर से दायर किए गए हलफनामे में कहा गया है कि इस साल की शुरुआत में उपराज्यपाल वीके सक्सेना की नियुक्ति के साथ समस्या और भी विकट हो गई.
Manish Sisodia Affidavit to SC: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिय ने बुधवार (9 नवंबर) को आम आदमी पार्टी सरकार (AAP Govt) को नौकरशाही (Bureaucracy) से हो रही समस्याओं के बारे में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है. उन्होंने एक हलफनाफा (Manish Sisodia Affidavit) दाखिल किया, जिसमें कई समस्याएं गिनाई. हलफनामे में कहा गया कि नौकरशाह बैठकों से बच रहे हैं, फोन नहीं उठा रहे, मंत्रियों के आदेश के अवहेलना कर रहे हैं और चुनी हुई सरकार के साथ उदासीनता का व्यवहार कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सिसोदिया के हलफनामे में कहा गया है कि इस साल की शुरुआत में उपराज्यपाल वीके सक्सेना की नियुक्ति के साथ समस्या और भी विकट हो गई. चुनी हुई सरकार और सिविल कर्मचारियों के बीच सहयोग को सजा दी जाती है और सरकार के खिलाफ अरुचि को प्रोत्साहित किया जा रहा है. बता दें, विनय कुमार सक्सेना ने इसी साल मई में दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला था. उनके और दिल्ली सरकार के बीच में कई मुद्दों को लेकर टकराव चल रहा है.
इसलिए सिसोदिया ने दायर किया सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
राष्ट्रीय राजधानी की सेवाओं पर किसका नियंत्रण है, इस मामले पर केंद्र के साथ दिल्ली सरकार के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा दायर किया गया है. दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी और कार्यकारी शक्तियों के दायरे संबंधी कानूनी मुद्दे पर सुनवाई के लिए 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ स्थापित करने पर सहमति जताई थी. मामले में दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अपीलकर्ता है और सिसोदिया ने इसकी तरफ से हलफनामा दायर किया है. भारत सरकार और अन्य इस केस में प्रतिवादी हैं.
हलफनामे में क्या कहा गया?
हलफनामे कहा गया है, ''अग्रिम सूचना के बावजूद, वरिष्ठ सिविल कर्मचारी और विभागाध्यक्ष नियमित रूप से निर्वाचित सरकार के मंत्रियों के साथ बैठकों में भाग नहीं लेते हैं. ज्यादातर मामलों में अनुपस्थिति का कोई स्पष्टीकरण या बैठक के रीशेड्यूल के लिए मंत्री के कार्यालय को सूचित नहीं किया जाता है और इसके बजाय जूनियर अधिकारियों को बैठकों में भाग लेने के लिए भेजा जाता है, जो कि प्रोटोकॉल का चौंकाने वाला उल्लंघन है. प्रोटोकॉल के स्पष्ट उल्लंघन के मुद्दे से परे, बैठकों में वरिष्ठ अधिकारियों की जानबूझकर अनुपस्थिति मंत्रियों को परियोजनाओं और उनके कार्यान्वयन पर चर्चा करने, या किसी भी लंबित कार्रवाई, प्रदर्शन में अक्षमता, शासन के परिणामों की अपर्याप्तता या भ्रष्टाचार और अपराध जैसे अन्य गंभीर मुद्दों की समीक्षा करने से रोकती है.''
हलफनामे में इन बैठकों का जिक्र
हलफनामे में ऐसे उदाहरणों की सूची शामिल की गई है, जहां वरिष्ठ नौकरशाह बैठकों में शामिल नहीं हुए. इसमें बताया गया है कि इस साल मई और अक्टूबर के बीच पर्यावरण, वन और वन्यजीव मंत्री की ओर से बुलाई गई 20 बैठकों में से केवल एक में विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव ने भाग लिया. इसमें बताया गया कि ये बैठकें 2022 की शीतकालीन प्रदूषण कार्य योजना, मोबाइल एंटी-स्मॉग गन की खरीद और पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने की तैयारी पर चर्चा के लिए बुलाई गई थीं.
हलफनामे बताया गया कि जुलाई और सितंबर के बीच विकास मंत्री की ओर से विभिन्न परियोजनाओं पर चर्चा करने के लिए पांच बैठकें बुलाई गई थीं. इनमें दिल्ली के गांवों का विकास और पूसा बायोडीकंपोजर समाधान पर चर्चा करनी थी. इनमें से चार में आयुक्त (विकास) ने भाग लिया. वहीं, अक्टूबर में बुलाई गई चार बैठकों में से केवल एक में लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव ने भाग लिया था.