सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (11 दिसंबर, 2024) को आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत शर्तों में ढील दी, जिनके तहत उन्हें दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार और धनशोधन मामलों में सप्ताह में दो बार जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना था. जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने यह कहते हुए जमानत शर्तों में ढील दी कि उनकी कोई जरूरत नहीं है.
पीठ ने कहा, 'याचिकाकर्ता नियमित रूप से सुनवाई में हिस्सा लेंगे.' सुप्रीम कोर्ट ने 22 नवंबर को मनीष सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) एवं प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी कर उनके जवाब मांगे थे.
नौ अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में सिसोदिया को जमानत दी थी और कहा था कि बिना सुनवाई के 17 महीनों तक सलाखों के पीछे रखने से वह त्वरित सुनवाई के अपने अधिकार से वंचित हो गए. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ जमानत शर्तें लगाई थीं, जिनमें यह भी शामिल था कि आप नेता को हर सोमवार और गुरुवार को पूर्वाह्न 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के समक्ष पेश होना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए तीन शर्तें लगाई थीं. पहली ये कि उन्हें 10-10 लाख रुपये के दो बेल बॉन्ड भरने होंगे, दूसरा अपना पासपोर्ट जमा करना होगा और तीसरा उन्हें हफ्ते में दो दिन, सोमवार और गुरुवार को थाने में जाकर हाजिरी देनी होगी. मनीष सिसोदिया ने तीसरी शर्त से राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी.
मनीष सिसोदिया के वकील ने 22 नवंबर को सुनवाई के दौरान कहा था कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 60 बार जांच अधिकारी के सामने पेश हो चुके हैं. आप नेता सिसोदिया को दिल्ली के कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन मामलों में सीबीआई और ईडी ने गिरफ्तार किया था. उन्हें अब रद्द कर दी गई दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को बनाने और उसे लागू करने में कथित अनियमितताओं के लिए 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.
इसके अगले महीने, नौ मार्च 2023 को ईडी ने उन्हें सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया. मनीष सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने खुद पर लगे आरोपों से इनकार किया है.
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