Supreme Court On Manish Sisodia Bail: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (5 अक्टूबर) को भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. 2 दिन से चल रही बहस गुरुवार (12 अक्टूबर) को जारी रहेगी. आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार साबित करने के लिए यह जरूरी है कि पैसों का लेन-देन हुआ हो.


उपमुख्यमंत्री के अलावा दिल्ली के आबकारी मंत्री भी रहे मनीष सिसोदिया को इस साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था. आज की सुनवाई में सिसोदिया के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी, "उन्हें पैसे मिलने का कोई सबूत नहीं है. यह पूरा मामला सुनी-सुनाई बातों पर आधारित है. विजय नायर समेत जिन आरोपियों को सिसोदिया का करीबी बताया जा रहा है, वह गलत है. वह लोग पार्टी से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन सिसोदिया के करीबी नहीं थे."


AAP को आरोपी बनाने पर कोर्ट की सफाई
बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने पूछा था कि अगर प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई आम आदमी पार्टी (AAP) को फायदा पहुंचाने की बात कह रहे हैं तो उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया है. आज सिसोदिया के वकील सिंघवी ने बताया कि मीडिया में यह खबर चल रही है कि कोर्ट ने आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने के लिए कहा है.


इस पर जस्टिस संजीव खन्ना और एस वी एन भट्टी की बेंच ने कहा, "हम यह साफ करना चाहते हैं कि हमने कल सिर्फ एक कानूनी सवाल पूछा था. सवाल यही था कि A और B को आरोपी बनाया है और C को फायदा पहुंचा है तो उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया?"


कोर्ट का अहम सवाल
ED और CBI के लिए पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू ने इस पर कहा कि सबूत होंगे तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा. इस दौरान जजों ने कुछ सख्त सवाल भी किए. जस्टिस खन्ना ने पूछा कि पूरे मामले में पैसों के लेन-देन के क्या सबूत हैं?


जज ने कहा, "हो सकता है कि आबकारी नीति में बदलाव से कुछ लोगों को फायदा पहुंचा हो. यह भी संभव है कि उन्होंने नीति में बदलाव के लिए दबाव बनाया हो, लेकिन सिर्फ इससे भ्रष्टाचार साबित नहीं होता."


ED का जवाब
एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ने कहा, "विजय नायर के व्हाट्सएप चैट समेत कई इलेक्ट्रॉनिक सबूत पैसों के आदान-प्रदान की तरफ इशारा करते हैं. जांच में कई और तथ्य मिले हैं, जो साफ तौर पर भ्रष्टाचार को दिखाते हैं. शराब के थोक व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए एक्साइज ड्यूटी को 5 से बढ़ा कर 12 फीसदी किया गया. फिर थोक व्यापार में कुछ लोगों को एकाधिकार दे दिया गया."


एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ने आगे कहा, "इससे राजस्व को नुकसान हुआ. गलत तरीके से अर्जित मुनाफे का बड़ा हिस्सा इन व्यापारियों ने अलग-अलग जगहों तक पहुंचाया. पैसों के लेन-देन से जुड़ी सारी बातचीत सिग्नल नाम के ऐप के जरिए की गई, ताकि उसे गुप्त रखा जा सके."


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