Delhi Excise Policy Case: मनीष सिसोदिया की जमानत का विरोध करते हुए ED ने कोर्ट में क्या दलीलें दी? जानें बड़ी बातें
Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली सरकार के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी ने कोर्ट में कहा कि पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने साजिश रची थी.
Delhi Excise Policy Case: दिल्ली सरकार के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर बुधवार (12 अप्रैल) को सुनवाई हुई. ईडी ने अपनी दलील पूरी की. इस दौरान जांच एजेंसी ने सिसोदिया को इस पूरे मामले का अहम साजिशकर्ता बताया.आबकारी नीति बनाने और लागू करने में सिसोदिया की मुख्य भूमिका रही है.
ईडी ने कोर्ट में कहा कि इस पॉलिसी के चलते होल सेलर्स को 338 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रोफिट हुआ. पॉलिसी में प्रॉफिट 5 प्रतिशत तय किया गया होता तो ये सरकार के पास जाता. अब 18 अप्रैल की दोपहर 2 बजे सिसोदिया की तरफ से दलील रखी जाएगी. इस दौरान कोर्ट में सिसोदिया खुद मौजूद थे. उन्हें तिहाड़ जेल से लाया गया था.
ईडी ने क्या कहा?
ईडी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि सिसोदिया ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के मुखिया थे और कैबिनेट के बारे में उनको सारी जानकारी थी. पॉलिसी के बदलाव में भी उनकी मुख्य भूमिका थी. पॉलिसी में फायदा पहुंचाने के बदले घूस ली गई. आबकारी विभाग के अधिकारियों की एसीआर सिसोदिया के हाथ में थी क्योंकि वो आबकारी मंत्री भी थे. दिल्ली के तत्कालीन आबकारी आयुक्त संजय गोयल की एसीआर 10/10 रही. ये वही अधिकारी हैं जिन्होंने इस नीति को तैयार किया.
ईडी ने क्या दावा किया?
ईडी ने ये भी दावा किया कि जीओएम में सलाह किए बगैर ही शराब नीति को पास कर दिया गया. एक व्यक्ति को सिर्फ दो रिटेल लाइसेंस मिल सकते थे और इसके लिए लॉटरी सिस्टम को अपनाया जाना था. प्रत्येक ज़ोन में 27 दुकानें थी. पॉलीसी में बदलाव के बारे में जीओएम या एक्सपर्ट कमेटी को जानकारी नहीं थी. प्रोसेस के तहत बदलाव किया गया होता तो इसके बारे में जीओएम या एक्सपर्ट कमेटी को जानकारी होती.
ईडी ने कहा कि एक्सपर्ट कमेटी की सलाह मानी गई होती तो उसके अनुसार सरकारी दुकानों को ज़्यादा लाभ पहुंचता. सिसोदिया के सचिव सी.अरविंद जो सभी जीओएम की बैठक में शामिल हुए थे, उन्होंने बताया कि उसमें पॉलीसी में किसी भी तरह के बदलाव को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी.
'कोई चर्चा नहीं हुई'
ईडी ने कहा कि होलसेल लाइसेंस प्राइवेट पार्टी को देने को लेकर जीओएम में कोई चर्चा नहीं हुई थी. 9 फरवरी 2021 और उसके बाद जीओएम की बैठक में प्रॉफिट मार्जिन को 5 फीसदी से बढ़ा कर 12 प्रतिशत करने और बड़ी कंपनियों को होलसेल लाइसेंस देने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी.
'ईमेल प्लांट कराए'
ईडी ने कहा कि अगर आबकारी नीति सही थी तो सिसोदिया की ओर से पॉलिसी के पक्ष में ईमेल क्यों प्लांट कराए गए? ये ईमेल अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के माध्यम से प्लांट कराए गए थे. दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ज़ाकिर खान ने अपने यहां इंटर्न के तौर पर काम कर रहे लोगों से भी ईमेल प्लांट कराए. सिसोदिया ने आबकारी विभाग के मेल के पते पर ईमेल प्लांट करवाए. ये वही ईमेल आईडी थी जहां कि नीति पर सार्वजनिक टिप्पणी मांगी गई थी.
मनीष सिसोदिया के वकील ने क्या कहा?
ईडी ने कहा कि शराब नीति सही थी तो जीओएम के लिए ईमेल कैंपेन क्यों चलाया गया? कैंपेन के लिए सिसोदिया ने अलग से षड्यंत्र रचा. इस दौरान ईडी ने जज को केस डायरी भी दिखाई. एजेंसी ने कहा कि मामले में कुछ नए तथ्य सामने आए हैं. इसी को लेकर हम कोर्ट को केस डायरी दिखा रहे हैं. सिसोदिया के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा अगर केस डायरी से किसी बात को कोर्ट संज्ञान में ले रहा है तो उसको हमको भी दिखाया जाना चाहिए.
ईडी की तरफ से बचाव पक्ष (मनीष सिसोदिया का पक्ष) की उस दलील का भी विरोध किया गया जिसमें कहा गया कि उन पर मनी लांड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि उनके पास से एक भी पैसा नहीं मिला है. ईडी ने कहा कि क्या कोर्ट यह सुनिश्चित कर सकती है कि गवाह और सबूतों से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.
मनीष सिसोदिया की दलील पर क्या कहा?
ईडी ने कोर्ट के सामने ये भी कहा कि मनीष सिसोदिया जमानत के लिए अपनी पत्नी की बीमारी की दलील रख रहे हैं. वो व्यक्ति जिसके पास सरकार में रहते हुए 18 पोर्टफोलियो रहे और जो चुनाव प्रचार के लिए देश भर में घूमता रहा हो. उसके पीछे उसकी पत्नी की देखभाल करने वाले अन्य लोग थे, लेकिन अब जमानत पाने के लिए ये ऐसी मानवीय दलील अदालत में रख रहे हैं.
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