SC On Manish Sisodia: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गुरुवार (14 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट से उनकी पुनर्विचार याचिका के संबंध में झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता है.
30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने शराब नीति मामले में सिसोदिया को जमानत देने से मना कर दिया था. वह इसी आदेश पर दोबारा विचार की मांग कर रहे थे. आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी.
30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से मना करते हुए कहा था कि जांच एजेंसी 338 करोड़ रुपये का लेनदेन साबित कर पाई है. फिलहाल उन्हें जमानत नहीं मिल सकती है. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि 6 महीने में अगर निचली अदालत में मुकदमा खत्म नहीं होता तो जमानत के लिए दोबारा आवेदन किया जा सकता है.
26 फरवरी को हुई थी मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी
सिसोदिया की जांच सीबीआई और ईडी दोनों की ओर से की जा रही है. दिल्ली के आबकारी नीति मामले में कथित भूमिका के लिए मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी इसी साल 26 फरवरी को हुई थी और तब से आप नेता हिरासत में हैं. गिरफ्तारी के दो दिन बाद यानी 28 फरवरी को उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. मार्च में सीबीआई की एफआईआर से जुड़े धन शोधन मामले में ईडी ने तिहाड़ जेल में मनीष सिसोदिया से पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.
30 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई मामले में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था. 3 जुलाई को हाई कोर्ट ने एक्साइज पॉलिसी में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले में सिसोदिया को जमानत देने से मना कर दिया था.
क्या है आबकारी नीति मामला?
बता दें कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू की थी लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के आखिर में इसे रद्द कर दिया गया था. आरोप है कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने रिश्वत के बदले कुछ व्यापारियों को शराब लाइसेंस देने में मिलीभगत की थी. आरोपी अधिकारियों पर कुछ शराब विक्रेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए आबकारी नीति में बदलाव करने का आरोप है.
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