Supreme Court: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिस्व शर्मा के मानहानि के मामले को शीर्ष अदालत में चुनौती देते हुए सिसोदिया ने इसे खारिज करने की मांग की थी. लेकिन, सिसोदिया की इस याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यदि आप सार्वजनिक बहस को इस स्तर तक गिरा देंगे, तो आपको अंजाम भुगतने होंगे.
सिसोदिया ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा द्वारा उनके खिलाफ दायर किए गए एक आपराधिक मानहानि मामले को रद्द करने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. मानहानि का मामला, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री द्वारा शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने को लेकर दायर किया गया था.
सार्वजनिक बहस को इस स्तर तक गिरा देंगे, तो आपको अंजाम भुगतने होंगे: SC
आप नेता ने दावा किया था कि शर्मा ने 2020 में राज्य का स्वास्थ्य मंत्री रहने के दौरान अपनी पत्नी की कंपनी को आपूर्ति के ऑर्डर दिए थे. हालांकि, शर्मा ने इन आरोपों से इनकार किया था. यह विषय सोमवार को न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आया.
सिसोदिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आप नेता ने यह नहीं कहा था कि कोई पैसा लिया गया है. इस मामले पर सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि यदि आप सार्वजनिक बहस को इस स्तर तक गिरा देंगे, तो आपको अंजाम भुगतने होंगे. न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले ही बेशर्त माफी मांग लेनी चाहिए थी.
बिस्व सरमा के वकील ने क्या कहा
इसके पहले बिस्व सरमा के वकील ने बताया था कि जेसीबी इंडस्ट्रीज ने एनएचएम, असम को पीपीई किट की आपूर्ति के लिए की गई बोली में हिस्सा ही नहीं लिया था और न ही उन्होंने कोई बिल पेश किया, जिससे कि उनकी भागीदारी का पता चल सके. इस कंपनी ने कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी गतिविधियों के तहत NHM असम को लगभग 1500 पीपीई किट की आपूर्ति की थी.
मनीष सिसोदिया का आरोप
बता दें कि, सिसोदिया ने सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की पत्नी पर कोरोना काल के दौरान PPE किट की खरीद में अनियमितता का आरोप लगाया था. इस पर हिमंत सरमा ने AAP नेता सिसोदिया पर मानहानि का मुकदमा ठोक दिया था. इसी को रद्द करवाने के लिए सिसोदिया ने सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी. मगर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई से साफ़ इनकार कर दिया. इसके बाद सिसोदिया ने अपनी याचिका वापस ले ली है.
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