Cases Against Manish Sisodia: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को बड़ा झटका लगा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फीडबैक यूनिट (FBU) जासूसी मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. सीबीआई ने सिसोदिया के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी मांगी थी, जिसे दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मंजूरी देते हुए गृह मंत्रालय के पास भेजा दिया था.
सीबीआई ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के प्रमुख सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. दिल्ली में आप के सत्ता में आने के बाद इस विभाग के तहत फीडबैक यूनिट बनाई गई थी. इस यूनिट पर जासूसी कराने का आरोप है. मंजूरी के बाद अब दिल्ली के उपमुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. सिसोदिया के खिलाफ पहले से ही कई केस चल रहे हैं.
सिसोदिया का पलटवार
बीजेपी पर हमला बोलते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा, "अब तक सीबीआई, ईडी और दिल्ली पुलिस ने हमारे खिलाफ 163 मामले दर्ज किए हैं. हालांकि, बीजेपी एक भी मामला साबित नहीं कर पाई है. इनमें से करीब 134 मामलों को अदालतों ने खारिज कर दिया है और बाकी मामलों में भी बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र कोई सबूत नहीं दे पाई है." सिसोदिया सभी केस को राजनीति से प्रेरित बताया है. अब तक सिसोदिया का नाम इन प्रमुख केस में आया है.
दिल्ली शराब घोटाला
दिल्ली के चर्चित शराब घोटाला मामले ने मनीष सिसोदिया को भी घेरे में लिया था. सीबीआई ने सिसोदिया के घर पर छापा मारा था. उनके बैंक लॉकर की तलाशी ली गई थी. मनीष सिसोदिया ने दावा किया कि सीबीआई को जांच के दौरान उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे. बीते रविवार को सीबीआई ने शराब घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया को पूछताछ के लिए बुलाया था. हालांकि, मामले में दायर की गई चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम आरोपियों में नहीं है.
स्कूल घोटाला
साल 2019 में बीजेपी नेता हरीश खुराना ने दिल्ली पुलिस की एंटी करप्शन ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन पर स्कूल बिल्डिंग के निर्माण में घोटाले का आरोप लगाया गया था. बीते सार 23 मई, 2022 तो एंटी करप्शन ब्रांच ने कार्रवाई के लिए आगे बढ़ाई थी.
जासूसी मामला
सीबीआई के मुताबिक, एफबीयू ने 1 फरवरी, 2016 को 17 कॉन्ट्रैंक्ट कर्मियों के साथ काम करना शुरू किया था. इनमें अधिकांश खुफिया ब्यूरो और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त अधिकारी थे. यूनिट का उद्देश्य कथित रूप से विभिन्न मंत्रालयों, विपक्षी राजनीतिक दलों, संस्थाओं और व्यक्तियों की जासूसी करना था और इसकी कोई विधायी या न्यायिक निगरानी नहीं थी. मामले में सीबीआई ने सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सहमति दे दी है.
यह भी पढ़ें