मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय टैक्स में दिल्ली की मांगी हिस्सेदारी, कहा- 20 सालों में प्रदेश का हिस्सा 325 करोड़ पर ही सीमित
उप-मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय करों में दिल्ली को समुचित हिस्सेदारी देने की अपील की है. बजट 2021-22 पर केंद्रीय वित्त मंत्री की सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक में केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा मांगा.
नई दिल्ली: उप-मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय करों में दिल्ली को समुचित हिस्सेदारी देने की अपील की है. बजट 2021-22 पर केंद्रीय वित्त मंत्री की सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के साथ होनेवाली बैठक के दौरान उन्होंने मुद्दा उठाया. इस दौरान सिसोदिया ने केंद्र शासित राज्यों को केंद्रीय सहायता और आपदा प्रबंधन कोष में दिल्ली को जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर सहायता देने की मांग की.
मनीष सिसोदिया ने वित्त मंत्री के साथ बैठक में उठाया मुद्दा
बैठक में अपनी बात रखते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि 2001-02 से लेकर अब तक बीस साल में केंद्रीय करों में दिल्ली का हिस्सा मात्र 325 करोड़ रुपये पर सीमित है. दिल्ली में देश की राजधानी होने के साथ विधानसभा भी है. लेकिन केंद्रीय वित्त आयोग के टर्म ऑफ रिफ्रेंस में दिल्ली को शामिल नहीं किया गया है. दिल्ली को केंद्रीय करों में सिर्फ 325 करोड़ रुपयों का अनुदान मिलता है. उन्होंने कहा कि देश की राजधानी और महानगर होने के चलते दिल्ली सरकार पर विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की चुनौती है. साथ ही, व्यापक आबादी को सर्वोत्तम नागरिक सुविधाओं की आपूर्ति करना और सबको रोजगार के अवसर देना जरूरी है.
केंद्रीय करों में दिल्ली को समुचित हिस्सेदारी देने की अपील
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, परिवहन, सड़क और अस्पताल आदि में काफी निवेश की आवश्यकता है. विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय करों में दिल्ली को अपना वैध हिस्सा पाने का पूरा हक है. सिसोदिया के मुताबिक नियम के हिसाब से वित्त वर्ष 2020-21 में 8,150 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2021-22 में 8,555 करोड़ रुपये का आवंटन दिल्ली के लिए किया जाना चाहिए.
दिल्ली नगर निगम का ज़िक्र करते हुए बैठक में सिसोदिया ने यह भी कहा कि दिल्ली में पांच शहरी स्थानीय निकाय हैं. इनमें तीन बड़े नगर निगम हैं, जिनकी आबादी 39 लाख से 62 लाख के बीच है. दिल्ली में नगरपालिकाओं की शक्तियां और कार्य अन्य राज्यों में स्थानीय निकायों के समान हैं. दिल्ली के नगर निकायों को बेसिक और परफोर्मेंस ग्रांट से वंचित करना स्थानीय स्वायत्त निकायों को मजबूत करने की संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं है. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के तीनों नगर निगम गंभीर आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं और अन्य राज्यों के नगर निकायों की तरह इन्हें भी केंद्रीय सरकार से वित्तीय सहायता पाने का पूरा हक है. दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप दिल्ली राज्य सरकार अपनी शुद्ध कर आय का 12.5% हिस्सा दिल्ली नगर निगमों को देती है.
नगर निगमों को केंद्र की तरफ से दी जाने वाली धनराशि के बारे में बताते हुए सिसोदिया ने कहा कि चौदहवें वित्त आयोग ने साल 2015-20 की अवधि में स्थानीय निकायों के लिए 2,87,436 करोड़ रुपये अनुदान का प्रावधान किया है. इस आधार पर हर एक नगर निकाय को प्रति-व्यक्ति, प्रति-वर्ष 488 रुपये मिलने चाहिए. दिल्ली की आबादी 193.86 लाख होने के कारण दिल्ली नगर निकायों को कम-से-कम 1150 करोड़ रुपये अनुदान के साथ ही उचित वार्षिक वृद्धि का लाभ मिलना चाहिए. उन्होंने दिल्ली नगर निगमों की गंभीर वित्तीय स्थिति को देखते हुए पिछले 10 सालों के बकाये हिस्से का कुल 12,000 करोड़ रुपया एकमुश्त देने की मांग की.
मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय वित्त मंत्री को बताया कि दिल्ली को साल 2000-01 में केंद्रीय सहायता के रूप में 370 करोड़ मिले थे जबकि साल 2020-21 में मात्र 626 करोड़ रुपये मिले हैं. साल 2000-01 में सामान्य केंद्रीय सहायता कुल व्यय का 5.14 प्रतिशत थी. यह साल 2020-21 में घटकर मात्र 0.96 प्रतिशत रह गई है. मौजूदा वित्त वर्ष में कोरोना संकट के कारण दिल्ली सरकार पर नागरिकों के लिए भोजन, सूखा राशन, आश्रय, होम आइसोलेशन, दवा जैसी आवश्यक और आकस्मिक गतिविधियों पर काफी खर्च आ रहा है. कोरोना की महामारी जारी होने के कारण दिल्ली सरकार पर आर्थिक दबाव बरकरार है.
प्रतिकूल परिस्थितियों के मद्देनजर मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय वित्तमंत्री से अपील की कि चालू वर्ष में दिल्ली को सामान्य केंद्रीय सहायता 626 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्तवर्ष 2020-21 में 1835 करोड़ रुपये और साल 2021-22 में 1925 करोड़ रुपये मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा करना जरूरी है ताकि वर्तमान में चल रहे कार्यों और योजनाओं पर बुरा असर न पड़े. इस संबंध में पहले भी अनुदानों की अनुपूरक मांग में अनुरोध किया जा चुका है.
सिसोदिया ने आग्रह किया कि आपदा प्रबंधन कोष देने के मामले में देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरह दिल्ली के साथ भी बराबरी का व्यवहार किया जाना चाहिए. भारत सरकार ने अप्रैल, 2020 में आपदा प्रबंध कोष तहत अन्य राज्य सरकारों को 11,092 करोड़ रुपये की सहायता दी, लेकिन दिल्ली को अपना हक नहीं मिला. सिसोदिया ने केंद्रीय वित्त मंत्री से अनुरोध किया कि डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड मामले में दिल्ली के साथ इस अन्याय को दूर करें. मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान राजस्व संग्रह में 42 फीसदी की अभूतपूर्व कमी आई है. इस तथ्य के मद्देनजर भारत सरकार को दिल्ली के लिए अतिरिक्त सहायता देने पर भी विचार करना चाहिए.
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