नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 68वीं बार 'मन की बात' कार्यक्रम के तहत देशवासियों को संबोधित किया. पीएम मोदी ने किसानों को नमन करते हुए कहा कि उनकी शक्ति से ही जीवन और समाज चलता है. इसके अलावा पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत से लेकर आदिवासी समाज तक कई विषयों पर दिल खोलकर बात की.
पीएम मोदी की 10 बड़ी बातें
- आत्मनिर्भर भारत अभियान में वर्चुअल गेम्स हो, खिलौने का सेक्टर हो, बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. ये अवसर भी है. जब आज से सौ साल पहले असहयोग आंदोलन शुरू हुआ, तो गांधी जी ने लिखा था कि असहयोग आंदोलन, देशवासियों में आत्मसम्मान और अपनी शक्ति का बौध कराने का एक प्रयास है.
- ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री 7 लाख करोड़ रु से भी अधिक है. इतना बड़ा कारोबार लेकिन भारत का उसमें हिस्सा बहुत ही कम. मैं देश के युवा से कहता हूं कि भारत में और भारत के भी गेम्स बनाइए. अब सभी के लिए लोकल खिलौनों के लिए वॉकल होने का समय आ गया है.
- बिहार के पश्चिमी चंपारण में सदियों से थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन का पालन करते हैं. प्रकृति की रक्षा के लिए बरना को थारु समाज ने अपनी परंपरा हिस्सा बना लिया है इस दौरान न कोई गांव में आता है न ही कोई अपने घरों से बाहर निकलता है.
- हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7% ज्यादा हुई है. धान इस बार 10%, दालें 5%, मोटे अनाज लगभग 3%, ऑयलसीड लगभग 13%, कपास लगभग 3% बोए गए हैं. इसके लिए मैं देश के किसानों को बधाई देता हूं.
- हमारे पर्व और पर्यावरण के बीच बहुत गहरा नाता रहा है. आमतौर पर ये समय उत्सव का होता है, जगह-जगह मेले लगते हैं, धामिर्क पूजा-पाठ होते हैं. कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग तो है, उत्साह भी है, लेकिन हम सबको मन को छू जाए , वैसा अनुशासन भी है.
- एक्सपर्ट्स कहते हैं कि शिशु को गर्भ में और बचपन में जितना अच्छा पोषण मिलता है, उतना अच्छा उसका मानसिक विकास होता है. बच्चों के पोषण के लिए भी उतना ही जरूरी है कि मां को भी पूरा पोषण मिले.
- हमारे यहां के बच्चे, हमारे छात्र, अपनी पूरी क्षमता दिखा पाएं, अपना सामर्थ्य दिखा पाएं, इसमें बहुत बड़ी भूमिका पोषण की भी होती है. पूरे देश में सितंबर में पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा. राष्ट्र और पोषण का बहुत गहरा संबंध होता है.
- भारत एक विशाल देश है, खान-पान की ढेर सारी विविधता है. हमारे देश में छह अलग-अलग ऋतुएं होती हैं, अलग-अलग मौसम के हिसाब से अलग-अलग चीजें पैदा होती हैं. इसलिए ये जरूरी है कि हर क्षेत्र के मौसम, वहां के स्थानीय भोजन और वहां पैदा होने वाले अन्न, फल, सब्जियों के अनुसार एक पोषक बनें.
- कुछ दिनों बाद 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाएंगे. तेजी से बदलते हुए समय और कोरोना के संकट काल में हमारे शिक्षकों के सामने भी समय के साथ बदलाव की एक चुनौती लगती है. मुझे खुशी है कि हमारे शिक्षकों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया बल्कि इसे अवसर में भी बदल दिया.
- किसी स्कूल के छात्र ठान सकते हैं कि वो आजादी के 75वें साल में अपने क्षेत्र की आजादी के 75 नायकों पर कविताएं लिखेगें. आपके प्रयास से देश के हजारों लाखों हीरोज सामने आएंगे. ऐसे महान व्यक्तियों को अगर हम सामने लाएंगे, आजादी के 75वें साल में उन्हें याद करेंगे तो उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
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