नई दिल्ली: गोवा के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का 63 साल की उम्र में निधन हो गया है. वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे. उनके निधन पर देश के तमाम लोगों ने शोक व्यक्त किया है. सभी पार्टी के लोग उनका सम्मान करते थे. पर्रीकर अपनी सादगी और इमारदारी के लिए जाने जाते थे. वह गोवा के आवाम में तो लोकप्रिय थे ही साथ ही केंद्र में बतौर रक्षा मंत्री भी उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐसे फैसले लिए जिसने सबको कायल बना लिया. आइए एक नज़र डाले हैं रक्षा मंत्री के तौर पर मनोहर पर्रिकर ने कौन से बड़े फैसले लिए.
1- ओआरओपी को लागू कराया
रक्षा मंत्री के तौर पर मनोहर पर्रिकर की बड़ी उपलब्धि ओआरओपी यानी वन रैंक वन पेंशन को लागू करना था. पांच सितंबर 2015 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मनोहर पर्रिकर ने ओरआरओपी का एलान किया था. इसी के साथ ही सेना की 40 साल से भी ज्यादा लंबी मांग पूरी हो गई. इस योजना के तहत सैनिकों को चार किस्तों में एरियर देने का फैसला भी हुआ. ओरआरओपी लागू होने के बाद कई पूर्व जनरल ने केंद्र सरकार की तारीफ की थी.
2- अमेरिका के साथ लेमोआ संधि, चीन को लगी मिर्ची
भारत और अमेरिका के बीच लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरंडम ऑफ एग्रीमेंट यानी LEMOA संधि करने में भी रक्षा मंत्री के तौर पर मनोहर पर्रिकर का बहुत बड़ा योगदान था. इस समझौते के तहत दोनों देश एक-दूसरे के मिलिट्री बेस का इस्तेमाल कर सकेंगे. इस डील के तहत एक बात साफ थी कि भारत की धरती पर अमेरिकी सैनिकों की तैनाती नहीं होगी. इस संधि की सफलता का अंजादा इसी बात से लगा सकते हैं कि संधि होते ही चीन भड़ गया. चीनी अख्बार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि बेशक यह अमेरिका-इंडिया मिलिट्री साझेदारी में लंबी छलांग हो. लेकिन इससे भारत अमेरिका का पिछलग्गू बन रहा है.
3- उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका
रक्षामंत्री रहते हुए पर्रिकर के सामने बड़ी चुनौती तब आई, जब 18 सितंबर 2016 में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने उरी में सेना के कैंप पर हमला बोला. पर्रिकर के सामने हमले के बाद सेना और देश का मनोबल बढ़ाने की चुनौती थी. 29 सितंबर को सरकार ने एलान किया कि सेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकाने पर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया. इस ऑपरेशन के दौरान रक्षामंत्री पर्रिकर पूरी रात जगे रहे और पल पल की अपडेट लेते रहे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को याद करते हुए 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक का भी जिक्र किया.
4. कश्मीर में कांटे से काटा निकालने की नीति (आतंकवादियों के खिलाफ)
आतंकवाद को लेकर मनोहर पर्रिकर बेहद सख्त थे. उन्होंने एक बार कहा था कि आतंक के खिलाप लड़ाई में केवल सेना का इस्तेमाल क्यों हो. उन्होंने कहा था कि भारत किसी विदेशी धरती से रचे गए 26/11 के तरह के हमलों को रोकने के लिए अतिसक्रियता से कदम उठाएगा. उन्होंने हिंदी मुहावरे 'कांटे से कांटा निकालना' का भी इस्तेमाल किया था और पूछा था कि आतंकवादियों को समाप्त करने के लिए हमेशा केवल भारतीय सैनिकों का ही इस्तेमाल क्यों किया जाए.''
5. सेना को लीन एंड थिन बनाने पर जोर दिया और शेकतकर कमेटी गठित की
मनोहर पर्रिकर के रक्षा मंत्री रहते हुए केंद्र सरकार ने एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया था जिसने 13 लाख सशस्त्र बलों के जवानों की सैन्य क्षमताओं में सुधार एवं उनके वेतन और पेंशन से सबंधित जैसे खर्चों को ध्यान में रखते हुए रक्षा खर्चों के बारे में अपनी रिपोर्ट सौंपी. योजना में, सेना के डिविजन की जगह, बल्क-अप ब्रिगेड की एक नई अवधारणा पेश की गई है जिसे इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप या आइबीजी कहा जाएगा. जनरल रावत इस योजना के तीन मुख्य उद्देश्य बताया, ‘‘हमारी मौजूदा क्षमताओं को मजबूत करके भावी युद्ध के लिए तैयार रहना, अपने बजट को बेहतर बनाना और दक्षता बढ़ाना.ʼʼ
6. वायुसेना को तेजस एयरक्राफ्ट को जल्द जंगी बेड़े में शामिल करने के लिए प्रोत्साहिक किया
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के प्रयासों के कारण ही भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस पेश किया जा सका है. उन्होंने तेजस को राफेल जैसा ही बताय़ा था. पर्रिकर ने खुद कहा था कि तेजस के निर्माण में इस परियोजना प्रभारी को उनके द्वारा दिए गए निर्देश के कारण तेजी आई. इसके पहले यह परियोजना 33 वर्षों से रुकी पड़ी थी. उन्होंने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि सभी दिक्कतें दूर की जाएं और विमान साल भर में तैयार किया जाए.'
7- अपनी हाजिर जवाबी के लिए जाने गए
रक्षा मंत्री रहते हुए पर्रिकर कभी अपनी बात बेबाकी से कहने में पीछे नहीं हटे. वह हमेशा देश की सेना की जान की कीमत जानते थे.उन्होंने एक बार कहा, "देश के लिए सब कुछ बलिदान करना जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जब आप लड़ने जाएं तो अपनी जान गंवा दें, बल्कि आपको अपने दुश्मनों का सफाया कर देना चाहिए. यही लक्ष्य था."
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