नई दिल्ली: आतंक का पनाहगार बन चुकी पाकिस्तान को भारत कई बार सबक सिखा चुका है. भारत ने न सिर्फ युद्धों में पाकिस्तान को हराया है बल्कि उसकी सरजमी में घुसकर भी भारत ने आतंकियों का सफाया किया है. ऐसा ही एक मंजर पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के कार्यकाल में देखने को मिला. उरी में आतंकी हमले का बदला भारतीय जांबाजो ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देकर लिया. इस सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता के लिए उस वक्त के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के कुशल नेतृत्व भी उतना ही जिम्मेदार जितनी भारतीय सेना थी. आइए जानते हैं कैसे भारतीय सेना ने POK में घुसकर पाकिस्तान में पनाह पा रहे आतंकियों का खात्मा किया था.
सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी
भारतीय सेना ने 28 और 29 सितंबर 2016 की रात पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. इसके जरिए पाक के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के लांच पैड को ध्वस्त किया गया था. इस कार्रवाई में कई आतंकवादी मारे गए थे. साथ ही आतंकी शिविरों को भारी नुकसान हुआ था.दरअसल यह कार्रवाई उस आतंकी हमले का जवाब था जो उरी में सेना के मुख्यालय पर किया गया था. 18 सितम्बर 2016 को आतंकियोंं के किए गए इस हमले में भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे.
कैसे दिया गया सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम
1- ऑपरेशन लगभग 12.30 बजे रात में शुरू हुआ.
2- सूत्रों के अनुसार भारतीय कमांडो ने 'सर्जिकल स्ट्राइक' करने के लिए नियंत्रण रेखा के पार तीन किलोमीटर तक प्रवेश किया था.
3- नियंत्रण रेखा पार पाक अधिकृत कश्मीर के भीमबेर, हॉटस्परिंग, केल और लीपा सेक्टरों में हमले किए गए.
4- सर्जिकल स्टाइक के दैरान 7 आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया गया.
5- सर्जिकल स्ट्राइक में 38 आतंकी और 2 पाकिस्तानी सेना के जवान मारे गए थे. भारतीय सेना को कोई नुकसान नहीं हुआ था.
6- रिपोर्ट के अनुसार सुबह 4: 30 बजे इस मिशन को खत्म कर भारतीय सैनिक वापस आ गए.
मनोहर पर्रिकर सर्जिकल स्ट्राइक की रात सोए नहीं थे
मनोहर पर्रिकर सर्जिकल स्ट्राइक की रात सो नहीं पाए थे. इस बात को उन्होंने खुद कबूला था. दरअसल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उन्होंने बताया था कि, “मुझे यह कहने में बड़ा गर्व होता है कि मैंने उरी में हुए आतंकवादी हमले और सर्जिकल स्ट्राइक के बीच करीब 18-19 बैंठकें की होंगी, जिनमें सेना के शीर्ष अधिकारी, रक्षा मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल थे. लेकिन कुछ लीक नहीं हुआ.”उन्होंने कहा, “जब आप किसी को कुछ नहीं बताते हैं तो आपके अंदर दबाव बढ़ने लगता है. सामान्यत: दबाव किसी दोस्त से चर्चा कर हल्का हो जाता है. लेकिन रक्षामंत्री के रूप में आप ऐसी स्थिति में नहीं होते हैं कि किसी मुद्दे पर किसी से बात कर सकें. चाहे म्यांमार का सर्जिकल स्ट्राइक हो या पीओके का. मैं दबाव के कारण करीब-करीब सो नहीं पाया था.”
मनोहर पर्किकर का निधन
लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को निधन हो गया. वह 63 साल के थे. राजनीति में अपने सरल और सीधे स्वभाव के कारण चर्चा में रहने वाले पर्रिकर एक मंझे हुए राजनेता थे. मनोहर पर्रिकर सीएम बनने के बाद भी अपनी स्कूटर खूब चलाते थे. वह अमूमन हाफ शर्ट और साधारण पैंट पहनते थे.
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