Antilia Case: NIA चार्जशीट से खुलासा- चार लोगों ने मिलकर की थी मनसुख हिरेन की हत्या, जानें आरोपी ने क्या-क्या बताया
मनसुख की हत्या करने के बाद और उसे ठिकाने लगाने के बाद संतोष शेलर ने प्रदीप शर्मा को फ़ोन किया और सिर्फ़ ओके कहा. यानी जो काम सौंपा गया था, वह पूरा हो गया है.
Antilia Case: एंटीलिया कांड मामले में सबसे कमजोर कड़ी के रूप में माने जाने वाले मनसुख हिरेन की हत्या की साज़िश बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे रची थी. एनआईए ने चार्जशीट में बताया की मनसुख के हत्यारों ने मनसुख की हत्या करने के बाद ठाणे के एक ढाबे पर जाकर पेट भर खाना खाया था. एनआईए ने अपने चार्जशीट में बताया की मनसुख की हत्या चार लोगों ने मिलकर की थी. जिसने आनंद जाधव, संतोष शेलार, मनीष सोनी और सतीश मोतकुरि उर्फ़ टन्नी शामिल थे.
मनसुख को कैसे मारा?
आरोपी आनंद जाधव ने एनआईए को बताया कि हम लोगों ने 4 मार्च को मनसुख की हत्या की थी. हत्या करने से पहले मैं और संतोष 3 मार्च को उस जगह की रेकी करने गए थे, जहां पर मनसुख को मारा जाना था. हमने घोडबंदर रोड और काशेलि ब्रिज पर रेकी की थी और फिर घर आने से पहले दर्या किनारे ढाबे पर खाना खाया.
आरोपियों ने मनसुख को अपनी गाड़ी में बिठाया
जाधव ने एनआईए को बताया कि 4 मार्च के दिन दोपहर साढ़े तीन बजे गोरेगांव में रहने वाले मनीष सोनी के मित्र के पास से लाल रंग की टवेरा गाड़ी ली. शाम साढ़े सात बजे के दरमियान कांदीवली इलाक़े में चारों गाड़ी में बैठे. संतोष ने गाड़ी रोकने को कहा और बताया कि एक शख़्स आ रहा है, जिसकी हत्या करनी है. कुछ समय बाद एक सफ़ेद रंग की गाड़ी वहां आई, जिससे एक आदमी निकला और हमारी गाड़ी की तरफ़ बढ़ने लगा. तभी संतोष गाड़ी से नीचे उतरा और बीच की सीट पर उसे मेरे और अपने बीच में बैठा दिया.
इसके बाद टन्नी ने शख़्स का मुंह पकड़ा और रूमाल मुंह में ठूंस दिया. मैंने और संतोष ने उस शख़्स के दोनों हाथ और पैर पकड़े. इसके बाद हमने उसकी हत्या कर दी. बाद में हम चारों ने मिलकर उस शख़्स को खाड़ी में फेंक दिया.
आरोपियों को नहीं पता था कि मरने वाला शख्स मनसुख है
चारों आरोपियों में अपने बयान में एक ही बात कही कि जब वो हत्या करने के लिए सारी तैयारी कर रहे थे और हत्या कर भी दी, तब तक उन्हें उस शख़्स के बारे में नहीं पता था. उन्हें कहा गया था की एक पार्सल आएगा, जिसे मौत के घाट उतरना है. इन लोगों के लिए मनसुख का कोड वर्ड पार्सल बताया गया था. ताकि उन्हें पता ना चले की ये किसी मार रहे हैं. बाद में जब खबर आई तो पता चला की वह मनसुख हिरेन था. मनसुख की हत्या करने के बाद और उसे ठिकाने लगाने के बाद संतोष शेलर ने प्रदीप शर्मा को फ़ोन किया और सिर्फ़ ओके कहा. यानी जो काम सौंपा गया था, वह पूरा हो गया है.