नई दिल्ली: केंद्र सरकार में मंत्री मनसुखभाई मांडविया पिछले 8 साल से साइकिल से संसद भवन आ रहे हैं. राज्यसभा सांसद के तौर पर 8 साल पहले उन्होंने संसद भवन साइकिल से आना शुरू किया था. इसके बाद वे मोदी सरकार की पिछले कार्यकाल में मंत्री बने और इस बार भी उन्हें मंत्री बनाया गया है लेकिन संसद भवन में साइकिल से आना नहीं छोड़ा है.
इसके पीछे मांडविया वजह बताते हैं कि साइकिल चलाने से पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है इससे कार्बन एमिशन नहीं होता है. गाड़ी से निकलने वाले धुएं और कार्बन से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. साइकिल चलाकर आप पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं. इसके अतिरिक्त साइकिल चलाने से आप फिट भी रहते हैं.
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मनसुख भाई मांडविया ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का फिट इंडिया का सपना है उसमें साइकिल एक बड़ा योगदान दे सकती है. वे कहते हैं कि नीदरलैंड की आबादी 50 लाख और वहां साइकल की तादाद 51 लाख है. वहां के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी साइकल से ही चलते हैं. मनसुखभाई कहते हैं कि अगर आप घर से नजदीक जाना चाहते हैं, तो साइकिल का इस्तेमाल करें. ऐसा करने से पर्यावरण संरक्षण में आप योगदान दे सकते हैं.
मांडविया आगे कहते हैं कि 8 साल पहले होने जब उन्होंने साइकिल से संसद भवन आना शुरू किया था तब से कई सांसद उनसे जुड़े हैं. वे भी साइकिल से आ रहे है. इसमें अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हैं जो कि इस समय केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं. इसके अलावा मनोज तिवारी भी साइकिल से संसद भवन अक्सर आते जाते हैं.
मांडविया कहते हैं कि प्रदूषण से बचने के लिए या प्रदूषण कम करने के लिए 5 उपाय किए जा सकते हैं. इन उपायों में एक है कि डीजल और पेट्रोल गाड़ियों का इस्तेमाल कम किया जाए. इलेक्ट्रिक व्हीकल का इस्तेमाल बढ़ाया जाए. साइकिल के इस्तेमाल पर बल दिया जाए. आस-पास आने जाने के लिए साइकिल का ही इस्तेमाल जनता करें. कोयले से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है. कोयले से चलने वाले उद्योगों पर रोक लगे.
उसके बदले में पीएनजी, एलएनजी का इस्तेमाल उद्योगों में बढ़ाया जाए. परमाणु ऊर्जा का भी इस्तेमाल उद्योगों में किया जा सकता है. कोयले से बनने वाली बिजली के इस्तेमाल के बजाय रिन्यूबल एनर्जी याने की सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी को प्रोत्साहन दिया जाए. मांडविया कहते हैं कि पर्यावरण संरक्षण के लिए किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरे समाज को आगे आना होगा तभी प्रदूषण से निजात मिल सकती है और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है.