Manual Scavenging Sewer And Septic Tanks Deaths: केंद्र सरकार ने कहा है कि पिछले पांच सालों में हाथ से मैनुअल स्कैवेंजिंग से किसी कामगार की मौत नहीं हुई है. हालांकि सरकार ने एक आंकड़े के जरिए ये जरूर बताया है कि पिछले 5 बरस में सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुए 419 लोगों की मौत हो चुकी है.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 सालों में सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुए 419 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने यह जानकारी लिखित रूप में दी. मंत्री ने यह भी साफ किया कि इस अवधि में मैनुअल स्कैवेंजिंग से कोई मौत नहीं हुई है.
किस राज्य में कितनी मौतें?
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुएतमिलनाडु से 67, महाराष्ट्र से 63, उत्तर प्रदेश से 49, गुजरात से 49 और दिल्ली से 34 मौते हुई हैं. ये ऐसे राज्य है जहां सीवर और सेप्टिक टैंक मौतों की संख्या सबसे अधिक है.
क्या होता है मैनुअल स्कैवेंजिंग?
मैनुअल स्कैवेंजिंग या हाथ से मैला ढोने को "सार्वजनिक सड़कों और सूखे शौचालयों से मानव मल को हटाने, सेप्टिक टैंक, नालियों एवं सीवर की सफाई" के रूप में परिभाषित किया गया है. साल 2022 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से जानकारी साझा की गई है कि साल 1993 से अब तक कुल 971 लोगों ने सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान अपनी जान गंंवाई है. मैनुअल स्कैवेंजिंग को लेकर कहा जाता है कि दुनिया में इतने विकास के बावजूद हाथों से मानव मल हटाना नैतिक नहीं है.
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