नई दिल्ली: ईद से ठीक पहले 13 जून को कांग्रेस इफ्तार पार्टी का आयोजन कर रही है. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के ताज होटल में होने वाले इस इफ्तार में विपक्ष के बड़े-बड़े चेहरों को आमंत्रित किया जा रहा है. राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस पार्टी का ये पहला इफ्तार राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बन गया है. अहम बात ये है कि कांग्रेस ने आखिरी इफ्तार 2015 में आयोजित किया था. पार्टी की तरफ से इफ्तार का आयोजन पिछले दो सालों से नहीं हो रहा था.


हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस बार के इफ्तार में एक अहम फर्क ये है कि आयोजन कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से नहीं बल्कि पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग की तरफ से किया जा रहा है. कांग्रेस के पिछले इफ्तार पार्टियों की तरह इस बार भी विपक्ष के नेताओं को इसमें आमंत्रित किया जाएगा.


पिछले दो सालों में कांग्रेस ने इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया था. माना गया कि 'मुस्लिम-परस्त' छवि से निकलने के लिए रणनीति के तहत ये फैसला लिया गया. हालांकि पिछले दो रमजानों के दौरान पार्टी ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में गरीब मुसलमानों के बीच भोजन सामग्री वितरित किया था. लेकिन अब सम्भवतः इफ्तार का ये सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है.


सूत्रों के मुताबिक इस बार इफ्तार आयोजित करने की पहल अल्पसंख्यक विभाग ने की थी. पिछले दिनों ही राहुल गांधी ने नदीम जावेद को कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग की कमान सौंपी है. राहुल गांधी का समय तय होने के बाद इफ्तार की तारीख 13 जून को तय की गई. विपक्ष के नेताओं के अलावा परंपरा के अनुरूप विभिन्न देशों के दूतावासों को निमंत्रण भेजा जा रहा है. हालांकि ज्यादा वक्त बचा नहीं है, ऐसे में देखना होगा कि कौन-कौन नेता इफ्तार में जुटते हैं.


चर्चा है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव आदि को इफ्तार का न्यौता भेजा जाएगा. यानी इफ्तार पार्टी में विपक्ष के बड़े नेता मौजूद रह सकते हैं. हालांकि इस पर जेडीएस नेता दानिश अली ने कहा कि 'अभी निमंत्रण तो आने दीजिए'.


जाहिर है दो साल के बाद होने जा रहे कांग्रेस के इफ्तार में जिस तरह विपक्ष के बड़े चेहरों के जुटने की बात हो रही है उससे साफ है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले ये मुस्लिम समाज तक एक संदेश पहुंचाने की कोशिश भी है. हालांकि कांग्रेस इस मामले में काफी सावधानी बरत रही है कि वो किसी भी धर्म विशेष की तरफ झुकी हुई नजर ना आए.