Birth and Death Certificate: किसी भी इंसान के जन्म लेने के बाद का सबसे पहला और महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट जन्म प्रमाण पत्र होता है ठीक वैसे ही मृत्यु प्रमाण पत्र किसी इंसान के निधन के बाद आखिरी महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है. आपने कभी गौर किया है कि इन दोनों दस्तावेजों की जरूरत क्यों होती है और किस वजह से सरकार की तरफ से इसके लिए नियम बनाए गए हैं. सरकार ने नियम तो बना दिए लेकिन इन्हें तय समय पर जारी करने में कई राज्य फेल हैं. देश के कई राज्य बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट जारी करने में पिछड़ रहे हैं. जारी आंकड़ों के मुताबिक इसके पीछे की मुख्य वजह राज्यों के पास उतने लोग ही नहीं हैं जिससे कि वो तय समय पर सर्टिफिकेट जारी कर सकें. गृह मंत्रालय ने साल 2020 में एक रिपोर्ट तैयार की थी जो मई 2022 में जारी की है.


साल 2015 तक ई-डिस्ट्रिक्ट की वेबसाइट, नगर निगम या नगर पंचायत आदि पर प्रमाण पत्र बनाने का काम किया जाता था. लेकिन साल 2015 के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार ने सिर्फ एक वेबसाइट बना दी जिस पर प्रमाण पत्र बनाने का काम होने लगा. लेकिन कई राज्य तय समय पर सर्टिफिकेट जारी नहीं कर पा रहे हैं. गृह मंत्रालय की मई 2022 में जारी की गई रिपोर्ट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इनमें दो सबसे बड़े नाम उत्तर प्रदेश, मणिपुर और उत्तराखंड हैं जो 21 दिनों के भीतर तय समय पर सर्टिफिकेट जारी करके नहीं दे पा रहे हैं. इसके अलावा लद्दाख, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड राज्य भी इसमें शामिल हैं. गृह मंत्रालय ने इस रिपोर्ट में बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने वाले राज्यों का आंकड़ा अलग रखा है और डेथ सर्टिफिकेट जारी करने वाले राज्यों का आंकड़ा अलग. इसके अलावा मंत्रालय ने इन आंकड़ों को 4 अलग-अलग भागों में बांट दिया है जिसमें पहला 50 फीसदी या उससे कम, दूसरा 50 फीसदी से ऊपर और 80 फीसदी से कम या बराबर, तीसरा, 80 फीसदी से ऊपर और 90 फीसदी से कम या बराबर और चौथा 90 फीसदी से ऊपर.


सबसे पहले उन राज्यों के बारे में जान लेते हैं जिनका आंकड़ा बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने में 50 फीसदी या उससे कम है-


उत्तर प्रदेश, मणिपुर- 50 फीसदी


उत्तराखंड- 37 फीसदी


लद्दाख, असम, अरुणाचल प्रदेश- 6 फीसदी


नागालैंड- 1.7 फीसदी


अब बात करते हैं 50 फीसदी से ऊपर और 80 फीसदी से कम या उसके बराबर वाले राज्यों की. त्रिपुरा, राजस्थान, केरल, तेलंगाना, बिहार, कर्नाटक, मेघालय, झारखंड, जम्मू-कश्मीर ये वो राज्य हैं जो 50 फीसदी से ऊपर और 80 फीसदी से कम या बराबर बर्थ सर्टिफिकेट जारी करते हैं.


तो वहीं 80 फीसदी से ऊपर और 90 फीसदी से कम या बराबर वाले राज्यों की अगर बात करें तो सिर्फ दो ही राज्य ऐसे हैं उनमें छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश शामिल हैं.


90 फीसदी से ऊपर वाले राज्यों की अगर बात की जाए तो उसमें पंजाब, चंडीगढ़, मिजोरम, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार, पुडुचेरी, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और गुजरात ऐसे राज्य हैं जो तय समय पर बर्थ सर्टिफिकेट जारी करके दे देते हैं.


डेथ सर्टिफिकेट वाले आंकड़ों पर नजर डालें तो इसके लिए भी मंत्रालय ने बर्थ सर्टिफिकेट वाला फॉर्मूला अपनाया है. इसे भी चार भागों में बांटा है.


सबसे पहले 50 फीसदी से कम या बराबर वाले राज्य


उत्तर प्रदेश- 50 फीसदी


उत्तराखंड- 44 फीसदी


जम्मू-कश्मीर- 40 फीसदी


नागालैंड- 34 फीसदी


मणिपुर- 30 फीसदी


लद्दाख- 23 फीसदी


असम- 20.5 फीसदी


अरुणाचल प्रदेश- 13.5 फीसदी


अब वो राज्य जो 50 फीसदी से ऊपर हैं लेकिन 80 फीसदी से कम या उसके बराबर हैं. वो राज्य बिहार, त्रिपुरा, कर्नाटक, राजस्थान, तेलंगाना, केरल और झारखंड हैं.


अब बात करते हैं 80 फीसदी से ऊपर लेकिन 90 फीसदी से कम या बराबर वाले राज्यों की. इन राज्यों में दादरा और नागर हवेली और दमन द्वीप, ओडिशा, गोवा, लक्ष्यद्वीप, मेघालय, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के नाम शामिल हैं.


अब उन राज्यों पर आते हैं जो 90 फीसदी से ऊपर तय समय पर डेथ सर्टिफिकेट जारी करते हैं. वो राज्य पंजाब, छत्तीसगढ़, मिजोरम, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार, पुडुचेरी, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और गुजरात हैं.


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