देश के कई राज्यों ने वन विभाग के बजट में की भारी कटौती, सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल ने घटाया- प्रकाश जावड़ेकर ने दी जानकारी
वन विभाग के बजट में सबसे ज्यादा कटौती पश्चिम बंगाल ने की है. कटौती का असर न सिर्फ वनों के संरक्षण पर पड़ेगा, बल्कि बढ़ते हरित क्षेत्र पर भी पड़ेगा. हालांकि कई राज्य ऐसे भी हैं, जिन्होंने वन विभाग के बजट में बढ़ोतरी की है.
नई दिल्ली: देश के 16 राज्यों ने वन विभाग के वार्षिक बजट में पिछले साल (2019-20) की तुलना में भारी कटौती की है. बजट में कटौती का असर न सिर्फ वनों के संरक्षण पर पड़ेगा, बल्कि बढ़ते हरित क्षेत्र पर भी पड़ेगा. इन राज्यों ने 12 मार्च को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से इस बाबत विस्तृत जानकारी साझा की है. इसके अनुसार, पश्चिम बंगाल ने वन विभाग के बजट में सबसे ज्यादा 52 फीसदी की कटौती की है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश ने 44 फीसदी, आंध्र प्रदेश ने 40 फीसदी, तमिलनाडु ने 38 फीसदी और बिहार ने 30 फीसदी की कटौती की है.
प्रकाश जावड़ेकर ने दी जानकारी
सोमवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यों की इस कटौती के बारे में जानकारी दी. हालांकि, केंद्र शासित प्रदेशों ने अपना डेटा उपलब्ध नहीं कराया है, लेकिन दिल्ली ने पिछले साल के 71 करोड़ रुपए की तुलना में इस वित्त वर्ष में वन विभाग के लिए 48 करोड़ रुपए का बजट रखा है.
इन राज्यों ने बढ़ाया वन विभाग का बजट
वहीं, जिन राज्यों ने वन विभाग के बजट राशि में बढ़ोतरी की है, उनमें तेलंगाना, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा, केरला, मेघालय, त्रिपुरा, राजस्थान और पंजाब शामिल हैं.
हालांकि अधिकांश राज्यों को पौधरोपण और संबंधित गतिविधियों के लिए क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) से अतिरिक्त धन मिलता है, लेकिन बजटीय आवंटन हरित क्षेत्र की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सबसे महत्पूर्ण है.
CAMPA ने CAF एक्ट 2016, जो सितंबर 2018 से प्रभाव में आया, के तहत 31 जनवरी तक 31 राज्यों को 48,477 करोड़ की राशि जारी की है. यह वह पैसा है, जिसे CAMPA विभिन्न परियोजनाओं, गैर-वन गतिविधियों जैसे कि बुनियादी ढांचे के विकास, खनन और उद्योगों के लिए जंगल की कटाई आदि से वसूल करता है.
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