कांग्रेस में अब ओल्ड Vs यूथ: राहुल गांधी को 'मनाने' के लिए कांग्रेस के कई युवा पदाधिकारियों ने इस्तीफा दिया
इनमें ज्यादातर वैसे नेता हैं जो युवा कांग्रेस में उस वक्त सक्रिय थे जब राहुल गांधी युवा कांग्रेस के प्रभारी महासचिव थे. इन्हें कांग्रेस की 'सेकेंड लाइन ऑफ लीडरशिप' भी कहा जा सकता है. राहुल क्या बदलाव लाते हैं ये देखने वाली बात होगी लेकिन ये तय है कि जल्द गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता कांग्रेस का नया अध्यक्ष होगा.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद से कांग्रेस में शुरू हुआ तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा. एक तरफ पार्टी अध्यक्ष पद को छोड़ने के लिए अड़े राहुल गांधी को मनाने की नाकाम कोशिशें जारी हैं तो वहीं अब पार्टी में 'बुजुर्ग बनाम युवा' की लड़ाई शुरू हो गई है. दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में शुक्रवार को पार्टी के कई युवा पदाधिकारियों ने बैठक कर राहुल गांधी के समर्थन में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. ठीक एक दिन पहले कांग्रेस के लीगल डिपार्टमेंट के प्रमुख विवेक तन्खा ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया था.
करीब 50 युवा नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा दिया है इनमें दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया से लेकर ओवरसीज कांग्रेस के सचिव वीरेंद्र वशिष्ठ शामिल हैं. अन्य प्रमुख नामों में बिहार कांग्रेस के प्रभारी सचिव वीरेंद्र राठौड़, ओडिशा कांग्रेस के प्रभारी सचिव अनिल चौधरी, यूपी के पूर्व प्रभारी सचिव प्रकाश जोशी, मीडिया पैनलिस्ट संजय चोपड़ा आदि शामिल हैं. इनमें ज्यादातर वैसे नेता हैं जो युवा कांग्रेस में उस वक्त सक्रिय थे जब राहुल गांधी युवा कांग्रेस के प्रभारी महासचिव थे. इन्हें कांग्रेस की 'सेकेंड लाइन ऑफ लीडरशिप' भी कहा जा सकता है.
ओवरसीज कांग्रेस के सचिव वीरेंद्र वशिष्ठ ने एबीपी न्यूज को बताया कि राहुल गांधी के समर्थन में हमने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हम चाहते हैं कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष के पद पर बने रहें. हालांकि सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के युवा पदाधिकारी पार्टी ने बुजुर्ग नेतृत्व से इस बात को लेकर नाराज है चुनाव में हार के बाद किसी ने अपना पद नहीं छोड़ा. बैठक में शामिल सूत्रों के मुताबिक युवा नेता चाहते हैं कि बुजुर्ग नेता हार की जिम्मेदारी लें और विदा हों.
इस बैठक में शामिल युवा नेता प्रकाश जोशी ने पिछले दिनों फेसबुक पर राज्यसभा सांसद आंनद शर्मा की खुलेआम आलोचना करते हुए उन पर राहुल गांधी की छवि को खराब करने का आरोप लगाया था. यही नहीं इन दिनों पार्टी दफ्तर में युवा नेता पुराने नेताओं के खिलाफ जमकर भड़ास निकालते हुए देखे जा सकते हैं. दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की टीम पर कमजोर रणनीति का ठीकरा फोड़ते हैं. बुजुर्ग नेताओं में उनकी गिनती होती है जो सोनिया गांधी के वक्त से कांग्रेस के अहम पदों पर बने हुए हैं. हालांकि राहुल कांग्रेस में काफी बुजुर्गों को किनारे किया जा चुका है बावजूद इसके युवा पीढ़ी के नेताओं को लगता है कि बुजुर्ग नेता बिना किसी जिम्मेदारी के कुर्सियों से चिपके हुए हैं. जाहिर है कांग्रेस में युवा और बुजुर्ग नेताओं की गुटबाजी चरम पर है. तमाम राज्यों में भी खुल कर गुटबाजी और झगड़ों का दौर चल रहा है.
इन सब के बीच पार्टी का बड़ा तबका यही चाहता है कि राहुल पार्टी अध्यक्ष के पद पर बने रहें लेकिन राहुल गांधी ने पद छोड़ने के अपने फैसले पर कायम हैं. इसी हफ्ते यूथ कांग्रेस ने राहुल के घर पर प्रदर्शन कर उनसे अपना मन बदलने का आग्रह किया. बिहार के युवा नेताओं ने खून से राहुल को चिट्ठी लिखी. कई वरिष्ठ नेताओं और सांसद भी राहुल से अनुरोध कर चुके हैं. राहुल गांधी ने चुनाव नतीजों के फौरन बाद 25 मई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश कर दी थी. सीडब्ल्यूसी ने राहुल का इस्तीफा नामंजूर कर दिया था और राहुल को पार्टी में बदलाव के लिए अधिकृत किया था.
राहुल क्या बदलाव लाते हैं ये देखने वाली बात होगी लेकिन ये तय है कि जल्द गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता कांग्रेस का नया अध्यक्ष होगा. राहुल फिलहाल पार्टी अध्यक्ष के पद पर बने हुए हैं और कामकाज भी देख रहे हैं लेकिन तब तक के लिए ही जब तक नए कांग्रेस अध्यक्ष का नाम तय नहीं हो जाता. आने वाले महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राहुल ने संबंधित राज्य के नेताओं से मुलाकात शुरू कर दी है. शुक्रवार को राहुल ने आदिवासी समाज से आने वाले नेता मोहन मरकाम को छत्तीसगढ़ कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया.