मुंबई: मराठा आंदोलन के दो साल पूरे होने पर महाराष्ट्र में आज बंद का एलान किया गया है, इसे देखते हुए फडणवीस सरकार सतर्क हो गई है. दरअसल आज मराठा आंदोलन के दो साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर मराठा संगठनों ने महाराष्ट्र बंद का ऐलान किया है. सकल मराठा लोगों ने लोगों से गुजारिश की है कि जनउपयोगी वस्तुएं लोग आठ अगस्त को ही खरीद लें.


आंदोलन में आम आदमी से मदद की अपील भी की गई है. रली और नवी मुंबई को बंद से दूर रखा गया है. इसके पीछे कारण पिछले दिनों हुए हिंसा को बताया जा रहा है. राज्य में सरकारी कर्मचारियों ने तीन दिन के हड़ताल की घोषणा की है. आज मराठा आंदोलन का अंतिम दिन है और उसी मराठा आंदोलनकारियों ने महाराष्ट्र बंद का एलान किया है. राज्य में पिछले 21 दिनों से हिंसात्मक आंदोलन जारी है.


15 नवंबर तक कुछ नहीं किया जा सकता- सरकार
बंद से पहले महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चन्द्रकांत पाटिल ने मराठा आरक्षण के पक्ष में प्रदर्शन कर रहे लोगों की आकांक्षाओं पर पानी फेरते हुए कहा कि उनकी मांगों के संबंध में 15 नवंबर तक कोई फैसला नहीं लिया जा सकता. उन्होंने कहा है कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के संबंध में समयबद्ध कार्यक्रम पेश करने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को सौंपी गयी है, जो अपनी रिपोर्ट 15 नवंबर को देगा.


मराठा समाज की मांगें क्या हैं?
मराठा समाज 16% आरक्षण की मांग कर रहा है. ये समाज पिछड़ा वर्ग के तहत सरकारी नौकरी, शिक्षा के क्षेत्र में भी आरक्षण की मांग कर रहा है. पिछले दो सालों से महाराष्ट्र में ये आंदोलन चल रहा है. पिछले दो सालों में 60 से ज्यादा जगहों पर आंदोलन हुआ है. इतना ही नहीं मराठा समाज कोपर्डी गैंगरेप के दोषियों को फांसी देने की मांग कर रहा है. साल 2016 में कोपर्डी में नाबालिग से गैंगरेप हुआ था. महाराष्ट्र में मराठा आबादी 33% यानी करीब चार करोड़ है. ऐसे में कोई भी सरकार इस समाज को नाराज नहीं कर सकती. इस आंदोलन का नेतृत्व मराठा क्रांति मोर्चा कर रहा है. मराठा आंदोलन में लाखों लोग शामिल हो रहे हैं.


आरक्षण के पीछे का वोट बैंक
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर लगातार फडणवीस सरकार निशाने पर थी, पिछले महीने मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान जमकर हिंसा भी हुई थी, फडणवीस मराठा समाज को आरक्षण देने की बात तो लगातार कह रहे थे लेकिन मराठा समाज ये मांग कर रहा कि सरकार आरक्षण देने की समय सीमा बताए, आरक्षण को लेकर विवाद के पीछे बड़ा वोट बैंक का गणित भी है जिसे समझना जरूरी है.


महाराष्ट्र में 33 फीसदी मराठा समाज की आबादी है और मराठा समाज के करीब 90 फीसदी लोग हैं. छोटे या मूमिहीन किसानों की 288 विधानसभा की 75 सीटों पर हार-जीत तय करने में बड़ी भूमिका होती है.


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